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उत्तर प्रदेश

हरिजन सेवक संघ ने आयोजित की बोर्ड बैठक, 13 जिलों के सदस्यों ने लिया भाग

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लखनऊ। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा 1932 में स्थापित रचनात्मक संगठन हरिजन सेवक संघ ने आज अपने उत्तर प्रदेश प्रांत की बोर्ड बैठक का आयोजन गांधी भवन लखनऊ में आयोजित किया। हरिजन सेवक संघ उत्तर प्रदेश की अध्यक्षा सुश्री कुसुम जौहरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। उप्र के 13 जिलों से पधारे हरिजन सेवक संघ उप्र के सम्मानित सदस्यों ने आज की बैठक में हिस्सा लिया।

आज के बैठक के एजेंडा के अनुसार सर्वप्रथम पिछली हुई कार्यवाही की पुष्टि की गई जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया तत्पश्चात पुनर्गठित बोर्ड के नवागत सदस्यों का स्वागत किया गया, सभी सदस्यों ने एक स्वर से संस्था की संगठन शक्ति को मजबूत करने पर विचार विमर्श किया तथा विगत वर्षों में हरिजन सेवक संघ उत्तर प्रदेश प्रांत द्वारा किए गए कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया।

संस्था की सदस्यता बढ़ाने पर विचार विमर्श किया गया तथा हरिजन सेवक संघ के स्थापना दिवस के उपलक्ष में तथा इसके 90 वर्ष पूर्ण होने पर आगामी 23, 24 और 25 तारीख को दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा सहभागिता हो सके इस पर मंथन किया गया। इस अवसर पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के आय-व्यय का प्रस्तुतीकरण किया गया।

इन औपचारिकताओं के बाद हरिजन सेवक संघ के सम्मानित सदस्य डॉ भानु प्रताप मल्ल, संस्था की अध्यक्षा सुश्री कुसुम जौहरी, लखनऊ विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के डॉक्टर डीआर साहू , हरिजन सेवक संघ के सक्रिय सदस्य व कबीर भारती आश्रम के संस्थापक साधक आचार्य प्रमिल द्विवेदी, विनोबा सेवा आश्रम बरतारा शाहजहांपुर की श्रीमती विमला श्रीवास्तव,

गांधी स्मारक निधि के सचिव लाल बहादुर राय, बीजेपी एनजीओ प्रकोष्ठ के प्रमुख संदीप कुमार साही, बांदा से शिव विजय, सीडब्ल्यूसी सुश्री सविता मालपानी, मोहित कुमार, श्रीमती वंदना बाजपाई आदि सदस्यों ने हरिजन सेवक संघ उप्र शाखा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भविष्य में की जाने वाली तैयारियों पर विस्तृत विचार विमर्श और अपने अपने विचार प्रस्तुत किए।

बताते चलें कि हरिजन सेवक संघ की स्थापना 30 सितम्बर 1932 को एक अखिल भारतीय संगठन के रूप में हुई थी। पहले इस संगठन का नाम अस्पृश्यता निवारण संघ रखा गया था, जिसे 13 सितम्बर 1933 को हरिजन सेवक संघ नाम दिया गया|

इसके प्रथम अध्यक्ष प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला तथा सचिव अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर हुए| संघ का मुख्यालय गाँधी आश्रम, किंग्सवे कैम्प, दिल्ली में है। इसकी शाखाएँ भारत में लगभग सभी राज्यों में हैं। वर्तमान में इसके अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल हैं।

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उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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