उत्तराखंड
सीएम ने इफ्तार पार्टी में दिया भाईचारे का पैगाम
देहरादून। रमजान के पावन मौके पर आयोजित इफ्तार पार्टी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाई चारे का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि रोजा इफ्तार कार्यक्रम सद्भाव का संदेश देते हैं। लोगों को आपसी गिले-शिकवे भूलकर ईद मनानी चाहिए।
रविवार को भगवानपुर में आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में हरीश रावत ने कहा कि रमजान का महीना साल के सभी महीनों से अलग है। रमजान के महीने में रोजेदार देश की तरक्की एवं अमन चैन की दुआ मांगते हैं। उन्होंने कहा कि इंसानियत से बढ़कर कोई मजहब नहीं होता। उत्तराखंड की संस्कृति भाईचारे की मिसाल पेश करती रही हैं।
रावत ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। दिवंगत मंत्री सुरेंद्र राकेश की सभी सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने बताया कि अति पिछड़े घाड़ क्षेत्र के विकास के लिए प्रदेश सरकार में विस्तृत योजना तैयार की गई है। जिसके तहत कई योजनाओं पर काम अंतिम चरण में है।
विधायक ममता राकेश ने कहा कि क्षेत्र में सड़कों सहित तमाम विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिससे लोगों की आमदनी और विकास दोनों हो रहा है। साथ ही लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निराकरण कराया जा रहा है। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों ने मुख्यमंत्री के साथ रोजा इफ्तारी में भाग लिया।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष चैधरी राजेंद्र सिंह, पूर्व राज्यमंत्री मनोहर लाल शर्मा, मंडी समिति अध्यक्ष सुभाष राकेश, पूर्व मंत्री रामसिंह सैनी, कांग्रेस प्रदेश सचिव विजय कुमार कश्यप, सुबोध राकेश, देवेंद्र अग्रवाल, सुशील, बरखा रानी, महावीर चैधरी, राव फरमूद, श्रीकांत चैधरी, डा. पहल सिंह आदि मौजूद रहे।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने पनियाला गांव में पहुंचकर डीसीबी के पूर्व चेयरमैन एवं भाजपा नेता रविंद्र पनियाला के पिता के निधन पर शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। मौके पर सुरेंद्र सिंह पनियाला, राव मुनफैत, राव अफजल चेयरमैन, राव ताज मोहम्मद, राव तनवीर, राव नबील, राव नावेद आदि मौजूद रहे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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