उत्तराखंड
स्टिंग को लेकर रावत पर सवाल
देहरादून। राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिए के लिए तत्कालीन कारण बने सीएम हरीश रावत के स्टिंग की सीबीआई जांच को कैबिनेट ने रद्द कर दिया है। इसके बाद इस मामले को लेकर राजनीति गरमा गई है। कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता सीएम की बजाय वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश ने की। बागी और विपक्ष मिलकर रावत पर हमला कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सीएम रावत पाक साफ हैं तो यह जांच जारी रहनी चाहिए। जबकि कांग्रेस का कहना है कि सीबीआई जांच पर उनको भरोसा नहीं है।
रविवार को हुई स्पेशल कैबिनेट में भाग नहीं लेकर हरीश रावत खुद के मामले में मुंसिफ बनने से बचे। उन्होंने यह जिम्मेदारी वरिष्ठ मंत्री इंदिरा ह्दयेश को दी। यह कदम काफी सोच समझकर उठाया गया। जल्दबाजी भी जायज थी। यदि एक दो दिन में सीबीआई इस मामले में मुकदमा कायम कर देती तो जांच वापस करने की सिफारिश करना नामुमकिन था। लेकिन, इस मामले को लेकर सरकार खुद संदेह के घेरे में है। सवाल यही है कि आखिर सीबीआई से अचानक दूरी बनाने के पीछे क्या वजह है। कैबिनेट की इस सिफारिश को सीबीआई मानेगी कि नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि राज्य की किसी एजेंसी में इतनी क्षमता नहीं है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच कर सके। विपक्ष तो उंगली उठा रहा है कि खुद की इज्जत बचाने के लिए हरीश ने कैबिनेट से यह फैसला करवाया।
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा कहते है कि 1994 में सिक्किम के पूर्व सीएम दोरजी के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश हुई, फिर वह सीएम बन गए। बिल्कुल इसी तरह उन्होंने भी जांच वापस लेने की अधिसूचना वापस ली, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जांच की सिफारिश का अधिकार तो राज्य के पास है, लेकिन वापस लेने का अधिकार नहीं है।दूसरा एक मामला के मरियम बनाम केरल राज्य का है। सर्वोच्च न्यायालय ने 29 अप्रैल 1998 में भी यही कहा कि एक बार सीबीआई जांच को राज्य वापस नहीं ले सकते। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने यह तर्क तो दिया कि आपराधिक मामलों में जांच का अधिकार राज्य को है, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि क्या भविष्य में किसी भी आपराधिक मामले की जांच सीबीआई के हवाले नहीं होगी।
उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।
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