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दिल के मरीजों के लिए खुशखबरी, भारत में ट्रांसप्लांट के मामलों में 10 गुना बढ़ोतरी
पिछले 2 बरसों में भारत में हृदय प्रत्यारोपण के मामलों में 10 गुनी वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट डोनेशन, प्रत्यारोपण और पुनर्प्राप्ति के बीच बेहतर तालमेल की वजह से ऐसा हो मुमकिन हो पाया है। 2016 के बाद से अब तक लगभग 300 हार्ट ट्रांसप्लांट हुए हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट या प्रत्यारोपण एक बेहद संवेदनशील सर्जरी है, इस दौरान जिसके दौरान क्षतिग्रस्त मांसपेशियों, धमनी या वाल्व वाले हृदय की जगह पर पूरी तरह से सक्रिय और स्वस्थ हृदय प्रत्यारोपित किया जाता है।
हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि ‘ब्रेन डेड’ घोषित हो चुके किसी व्यक्ति के शरीर से निकाले गए अधिकांश अंग कई घंटे तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं, जब तक कि उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित न कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि एक बार किसी व्यक्ति के शरीर से निकाला गया रक्त लंबे समय तक स्टोर किया जाता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों को दिया जाता है। डांसर क्लेयर सिल्विया की कहानी सेलुलर मैमोरी की बात को स्थापित करती है कि स्मृति और चेतना कोशिकाओं में जीवित रह सकती है और अन्य व्यक्तियों तक स्थानांतरित हो सकती है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सिल्विया के शरीर में हृदय व फेफड़ों के प्रत्यारोपण के बाद उसमें डोनर के गुण विकसित होने लगे (पुरुष से महिला तक यौन वरीयताओं में परिवर्तन, लाल रंग की जगह हरे और नीले रंग की पसंद, चिकन और बियर का स्वाद विकसित होना)। हालांकि, जरूरी नहीं कि ऐसा हर किसी में हो।
उन्होंने बताया कि अंगों को ठीक करने की प्रक्रिया को हार्वेस्टिंग कहा जाता है। यह अंग प्राप्तकर्ता में ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसे उस अंग की आवश्यकता होती है। अंगदान के दो प्रकार हैं — लाइव दान और मृत या कैडेवर दान।
आईजेसीपी के ग्रुप एडिटर डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि आंकड़े बताते हैं कि हृदय प्रत्यारोपण की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बारे में और जागरूकता बरतने की आवश्यकता है। लोगों को इस तथ्य के बारे में संवेदनशील होना चाहिए कि वे अंगदान के माध्यम से मृत्यु के बाद भी जीवित रह सकते हैं। अंगदान के बारे में मिथकों और गलतफहमी को दूर करने और संदेश को फैलाने की भी जरूरत है।
एचसीएफआई के अनुसार, उच्च आयु अंगदान में बाधक नहीं है। यहां तक कि 80 वर्ष की आयु से ऊपर के लोग भी अंग और ऊतक दाता बन सकते हैं। दान के लिए स्वास्थ्य सही होना भी कोई आवश्यक नहीं है। यहां तक कि जो धूम्रपान करते हैं, शराब पीते हैं या स्वस्थ आहार नहीं लेते हैं, वे भी अंगदान कर सकते हैं। अंग और ऊतक दान शरीर को किसी भी तरह से ‘डिफिगर’ या विकृत नहीं करते हैं। (इनपुट आईएएनएस)
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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।
कहां-कितना है एक्यूआई
अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।
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