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उत्तराखंड

अब हेलमेट की अनिवार्यता पर कानून बनाने की तैयारी

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हेलमेट की अनिवार्यता, कानून बनाने की तैयारी, पेट्रोल पंप संचालकों, देहरादून

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हेलमेट की अनिवार्यता, कानून बनाने की तैयारी, पेट्रोल पंप संचालकों, देहरादून

helmet compulsory on petrol pump

देहरादून। पेट्रोल पंपों से तेल भराने के लिए हेलमेट की अनिवार्यता पर शासन अब कानून बनाने की तैयारी में है। पेट्रोल के लिए बाइक सवार और उसके साथ बैठने वाली सवारी के पास हेलमेट जरूरी होने संबंधी शासनादेश के बाद अब शासन इसे कानून में तब्दील करने की तैयारी कर रहा है। कानून बनने के बाद पेट्रोल पंप संचालकों के लिए भी इसका पालन करना अनिवार्य हो जाएगा।

परिवहन विभाग ने कुछ दिन पहले शासनादेश जारी करके पेट्रोल लेने के लिए हेलमेट होना अनिवार्य कर दिया था। इस संबंध में पेट्रोल पंप संचालकों और संबंधित एसोसिएशन को भी पत्र जारी किए गए थे, लेकिन इस पर पेट्रोल पंप संचालकों ने गंभीरता नहीं दिखाई।

कुछ लोग न्यायालय चले गए। इस पर शासनादेश को लंबित कर दिया गया है। मोटर वाहन अधिनियम में भी पेट्रोल लेने के लिए हेलमेट की बाध्यता जैसा कोई प्रावधान नहीं है। इस पर शासन ने कानून बनाने का निर्णय लिया है। जरूरत पड़ी तो अधिनियम में भी संशोधन किया जा सकता है।

परिवहन विभाग ने इस संबंध में पूरा खाका तैयार करके फाइल न्याय विभाग को भेज दी है। सचिव परिवहन सीएस नपल्च्याल ने बताया कि इस संबंध में दूसरे राज्यों की व्यवस्था की भी समीक्षा की जा रही है। प्रदेश में दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर हेलमेट अनिवार्य किया गया है।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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