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उज्‍ज्‍वला योजना का सच सुनकर ‘भक्त’ बिदक सकते हैं, मुफ्त के बजाय 1750 रूपए में मिलता था गैस कनेक्शन

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में अक्सर अपनी कुछ योजनाओं का बढ़-चढ़ कर महिमा मंडन करते रहते हैं। लेकिन हकीकत इस बार उनके भाषणों से कुछ इतर है। मोदी सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है, नाम है ‘उज्ज्वला गैस योजना’। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से शुरू किया था। बताया गया था कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देना है। साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्र की बीपीएलधारी महिलाओं के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा गया था ताकि खाना बनाने के दौरान वो धूंए से परेशान न हों। इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहीं करीब 5 करोड़ महिलाओं को तीन साल के अंदर मुफ्त गैस कनेक्शन देना है।

इन तमाम दावों के बावजूद सच्चाई इससे ठीक उलट है। सच्चाई आपको हैरान कर देगी लेकिन इस स्कीम के तहत गरीब महिलाओं को न ही गैस कनेक्शन (सिलेंडर और चूल्हा) फ्री मिल रहा है और न ही सिलेंडर पर सब्सिडी मिल रही है (मार्च 2018 तक)। ज़मीनी हकीकत ये है कि किसी भी लाभार्थी को गैस कनेक्शन लेने के लिए कुल 1750 रुपये चुकाने पड़ते हैं। इनमें से 990 रुपये गैस चूल्हे के लिए जबकि 760 रुपए पहले सिलेंडर की कीमत होती है। सरकार की तरफ से ये दावा किया जाता है कि प्रति गैस कनेक्शन पर प्रति उपभोक्ता को 1600 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है, सरकार का ये दावा सरासर गलत है।

सरकार की इस योजना के तहत लिए गए कनेक्शन में पहले छह सिलेंडर की रिफिलिंग पर मिलने वाली सब्सिडी सरकार खुद रख लेती थी जिससे 1600 रुपये की दी गई आर्थिक सहायता की आपूर्ति पहले ही पूरी कर ली जाए। सरकार की तरफ से सिर्फ 150 रुपये का रेग्यूलेटर फ्री दिया जाता है। पीतल बर्नर वाले चूल्हे की जगह लोहे का बर्नर लगा हुआ चूल्हा दिया जाता है एक छोटे गैस पाइप के साथ। इस योजना के लाभार्थियों को पहले छह सिलेंडर बाजार दर पर खरीदने होते हैं यानी बिना सब्सिडी के, जो 750 से 900 रुपये के बीच पड़ता है। एक सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी (240 से 290) के अनुसार सरकार पहले छह सिलेंडर की रिफिलिंग की कीमत करीब 1740 रुपए प्रति ग्राहक पहले ही वसूल लेती थी।

 

शायद यही वजह है कि अधिकांश उज्ज्वला योजना के उपभोक्ता दूसरी बार सिलेंडर भरवाते ही नहीं हैं। केवल 50 फीसदी उपभोक्ता ही सिलेंडर रिफिल करवाते हैं वो भी दो महीने पर। केवल 30 फीसदी उपभोक्ता तीन-चार महीने में एक बार रिफिल करवाते हैं। जब सरकार की यह योजना फेल होने लगी तब अप्रैल 2018 से उज्ज्वला योजना के गैस सिलेंडर पर भी सब्सिडी देने का फैसला किया गया है। यानी सरकार ने 1750 रुपये की रिकवरी फिलहाल टाल दी है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना डॉट कॉम नाम की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक इस योजना के तहत सिर्फ महिलाएं ही आवेदन कर सकती हैं जिनका नाम बीपीएल सूची में है और सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना-2011 की लिस्ट में भी होना चाहिए।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 24 करोड़ घरों में लगभग 10 करोड़ परिवार का चूल्हा लकड़ी, कोयला या उपले से जलता है जो इस योजना से ख़त्म किया जाएगा। इस योजना से जुड़े भ्रष्टाचार के एक ताज़ा मामले के अनुसार यूपी के इटावा में गैस एजेंसी वाले लाभार्थियों से रिश्वत मांगते हैं। एसडीएम को इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा सरकार पर कई लाभार्थियों का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का भी आरोप लगता रहा है।

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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