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बेंगलुरु में नीतीश कुमार के खिलाफ लगे होर्डिंग व पोस्टर, बताया ‘अस्थिर पीएम प्रत्याशी’

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Hoardings and posters put up against Nitish Kumar in Bengaluru

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बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ अलग-अलग मोर्चे पर खड़े देशभर के विपक्षी दलों की जुटान आज कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हो रही है लेकिन इस बीच विपक्षी दलों की एकता के सबसे बड़े पैरोकार नीतीश कुमार के खिलाफ बेंगलुरु में लगा पोस्टर चर्चा में आ गया है।

इसमें नीतीश को ‘अस्थिर पीएम प्रत्याशी’ करार दिया गया है और इसके साथ ही बिहार के एक पुल को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। कर्नाटक हिंदीभाषी राज्य नहीं है, इसलिए वहां अंग्रेजी में पोस्टर लगा है। यह पोस्टर संदेश दे रहा है कि बेंगलुरु में बिहार के लिए रेड कारपेट बिछाया जा रहा है।

सुल्तानगंज पुल से नीतीश की तुलना क्यों?

जो होर्डिंग-पोस्टर बेंगलुरु में विपक्षी दलों की 17-18 जुलाई को हो रही बैठक के दौरान शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगे हैं, उनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना भागलपुर के सुल्तानगंज पुल से की गई है। निर्माणाधीन पुल दो बार गिर चुका है। दोनों बार गिरे इस पुल के हिस्सों की तस्वीर दिखाते हुए होर्डिंग-पोस्टर में नीतीश कुमार की अस्थिरता की चर्चा की गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, महागठबंधन के साथ जनादेश लेने के बाद एनडीए का मुख्यमंत्री बनने और एनडीए के लिए जनादेश लेकर महागठबंधन का सीएम बनने के कारण नीतीश पर अविश्वास जताया जाता रहा है। विपक्षी एकता के लिए 12 जून को पहली बार पटना में बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह तारीख फेल हो गई।

बाकी वजहों में एक यह अविश्वास ही था। नीतीश से ज्यादा विश्वास कई नेताओं ने लालू प्रसाद पर किया, क्योंकि वह तमाम झंझावातों के बावजूद भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिके हुए हैं। ऐसे पोस्टरों का एक लक्ष्य नए गठबंधन के संयोजक पद से नीतीश को दूर रखने की मंशा भी हो सकती है।

भाजपा ने लगवाया या नीतीश विरोधी कोई और

पटना में 23 जून को जब विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी तो आम आदमी पार्टी (AAP) के नाम के साथ एक नेता ने नीतीश को लेकर इसी तरह का अविश्वास जताया था। वह पोस्टर भी चर्चा में रहा था, हालांकि बाद में आप ने इस पोस्टर और उस नेता को अपना मानने से इनकार कर दिया था लेकिन, बेंगलुरु में लगे पोस्टर साफ संदेश दे रहे हैं।

नेशनल

संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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