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उत्तराखंड

उत्तराखंड को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की कोशिश

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उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन, खोदरी व ढकरानी जल विद्युत परियोजना, सौर ऊर्जा

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उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन, खोदरी व ढकरानी जल विद्युत परियोजना, सौर ऊर्जा

hydro electric projects in india

देहरादून। विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड अग्रणी रहे इसके लिए प्रदेश सरकार ने जल विद्युत परियोजनाओं के साथ सौर ऊर्जा की दिशा में भी कदम बढ़ा दिए हैं। जिसके तहत विकासनगर के खोदरी व ढकरानी जल विद्युत परियोजना की खाली पड़ी जमीनों पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाए गए हैं।

खास बात यह है कि इन प्लांटों से अब विद्युत उत्पादन भी शुरू हो गया है। दरअसल, उत्तराखंड का मौसम डस्ट फ्री है जो सौर ऊर्जा के लिहाज से बेहतर है। मौसम का नीट एंड क्लीन होना ही एक मात्र वजह है कि ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रहे उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए खोदरी में 4.398 व ढकरानी में 1.466 मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लांट लगाए हैं।

सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली घरों तक कैसे पहुंचेगी तो इसके लिए भी उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने पूरी तैयारी कर ली है। जिसके लिए वही पॉवर ग्रिड इस्तेमाल किए जाएंगे जिसके सहारे खोदरी और ढकरानी जल विद्युत परियोजनाओं की बिजली घरों तक पहुंचती है।

बहरहाल, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार के बढ़ते कदमों से राज्य विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा। इससे जहां राज्य में बिजली का संकट तो दूर होगा ही साथ ही विद्युत परियोजाओं में पानी की कमी के चलते घटते विद्युत उत्पादन के दौरान बिजली के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता भी समाप्त होगी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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