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अन्तर्राष्ट्रीय

ICJ में दोबारा न्यायाधीश चुने गए दलवीर भंडारी, भारत के लिए अहम है जीत

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नीदरलैंड के हेग स्थ‍ित अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारतीय जज दलवीर भंडारी जज चुन लिए गए हैं।  इसके साथ ही वो दूसरी बार अतंराष्ट्रीय अदालत के जज बन गए हैं।

भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था। दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 183 मत मिले, जबकि सिक्योरिटी काउंसिल में जस्टिस भंडारी को 15 मत मिले हैं।

बता दें कि, जज की आखिरी सीट के लिए भंडारी और ब्रिटेन के दावेदार के बीच मुकाबला था लेकिन आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया।

आईसीजे की आखिरी सीट के लिए मतदान आज रात को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में आयोजित होना था लेकिन ब्रिटेन ने पहले ही अपने हाथ पीछें खींच लिए और अपना प्रत्याशी वापस ले लिया। जिसके बाद भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी को जीत हासिल हुई।

भारत की ओर से नामित दलवीर भंडारी के निर्वाचन पर ब्रिटेन का कहना है कि वह करीबी दोस्त भारत की जीत से खुश है।

इस चुनाव के लिए न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय में अलग से मतदान करवाया गया था।  इस दौर के मतदान से पहले ब्रिटेन द्वारा बड़े ही आश्चर्यजनक तरीके से अपना प्रत्याशी वापस लिये जाने के कारण हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत के लिए भंडारी का पुन:निर्वाचन संभव हो सका है।

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ये भारत के लिए गर्व का समय है। जहां एक ओर देश के बेटी ‘मानुषी छिल्लर’ ने 17 साल बाद भारत को ‘मिस वर्ल्ड’ का ताज दिलाया तो वहीँ दूसरी ओर दलवीर भंडारी ने अन्तराष्ट्रीय न्यायालय में दूसरी बार जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन कर दिया।

ऐसे में भारत के लिए दलवीर की ये जीत जितनी अधिक गर्वित करने वाली है उससे कहीं ज्यादा अहमियत भरी भी है।  आइये जानते है क्यों-

कौन है दलवीर भंडारी-

दलवीर भंडारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधिश भी थे. उनका जन्म वर्ष 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था।  दलवीर भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे।  जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की।

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वर्ष 1991 में भंडारी वह दिल्ली आ गए और यहां वकालत करने लगे। अक्टूबर 2005 में वो मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।  दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी।  वो सुप्रीम कोर्ट में भी वरिष्ठ न्यायमूर्ति रहे हैं।

दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस  में जाने से पहले भारत में विभिन्न अदालतों में 20 वर्ष से अधिक समय तक उच्च पदों पर रह चुके हैं ।

इसीलिए भारत में अहम है दलवीर की जीत-

भंडारी की जीत भारत के लिहाज से बेहतरीन है, क्योंकि पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी अंतर्राष्ट्रीय अदालत में है।

 

माना जाता है कि ब्रिटेन को डर था कि कहीं भारत ने दो तिहाई मत हासिल कर लिए तो सुरक्षा परिषद के लिए भारत के प्रत्याशी को आईसीजे में निर्वाचित होने से रोकना बहुत मुश्किल होगा।

भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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