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उत्तराखंड

565 जांबाज अफसर भारतीय सेना के अंग बने

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भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून, 565 जांबाज अफसर, भारतीय सेना, 45 विदेशी कैडेट्स

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भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून, 565 जांबाज अफसर, भारतीय सेना, 45 विदेशी कैडेट्स

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भारतीय सैन्य अकादमी में 565 जांबाज अफसर की पासिंग आउट परेड

देहरादून। भारत माता तेरी कसम, तेरे रक्षक बनेंगे हम। आईएमए के इस गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे तो लगा कि विशाल सागर उमड़ आया है। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरेक शख्स के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे। देहरादून स्थित देश की प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में आज पासिंग आउट परेड के साथ ही देश की सेनाओं को 565 जांबाज अफसर मिल गए। 45 विदेशी कैडेट्स भी आईएमए से पास आउट होकर अपने देश की सेनाओं में सेवा देंगे। इसके साथ ही आईएमए से निकले अफसरों की संख्या 58983 पर पहुंच गई।

उत्तराखंड ने दिए 52 अफसर, पिछले दस साल से नंबर-1

शनिवार को सुबह आईएमए की ऐतिहासिक चेटवुड बिल्डिंग के सामने मैदान में ड्रिल स्क्वायर में पासिंग आउट परेड की गई। जनरल ऑफिसर इन कमांडिंग चीफ ले. जन. सरथ चंद्र ने परेड की सलामी ली। यहां 610 जेंटलमैन कैडेट्स अंतिम पग पार कर अफसर बन गए। इनमें 45 विदेशी जीसी भी शामिल हैं। इसी के साथ आईएमए के साथ एक और उपलब्धि हासिल की। जेंटलमैन कैडेट्स के अंतिम पग पार करते ही आईएमए के इतिहास में देश को 58983 अफसर देने का रिकॉर्ड जुड़ गया।

इसमें 1908 फॉरेन जीसी भी शामिल हैं। 425 जीसी 138-रेगुलर कोर्स के होंगे, जिनमें से 107 डायरेक्ट एंट्री, 279 एक्स एनडीए और 39 एक्स एसीसी वाले कैडेट्स शामिल हैं। इसके साथ ही 140 कैडेट्स 121-टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स के पासआउट होंगे। 45 विदेशी कैडेट्स भी 138-रेगुलर कोर्स के पासआउट हुए।

आईएमए से इस बार उत्तराखंड के 52 जाबांज अफसर पास आउट हुए। जनसंख्या के लिहाज से छोटे राज्यों में शुमार उत्तराखंड का इतनी बड़ी संख्या में ऑफिसर देना मिसाल है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से उत्तराखंड देश को सबसे ज्यादा जांबाज देने वाले राज्यों के शीर्ष पर दस वर्षों से जमा हुआ है। वहीं इस बार यूपी के सर्वाधिक 98 जेंटलमैन कैडेट्स पासआउट होंगे। बिहार और हरियाण से 60-60 जांबाज ऑफिसर सेना का हिस्सा बनेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल सरथ चंद्र ने परेड की सलामी लेने के बाद कहा कि नव सैन्य अधिकारी परमपरागत और गैर परम्परागत चुनौतियों के लिए तैयार रहें। उन्होंने कैडेट्स को ओवर आल बेस्ट परफारमेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा। उत्तराखंड के राजेन्द्र सिंह बिष्ट को स्वार्ड आफ आनर प्रदान की गई।

अमन ढाका को स्वर्ण और एन दिनेश कुमार को रजत पदक मिला। राजेन्द्र सिंह बिष्ट को कांस्य पदक प्रदान किया गया जबकि अभिजीत चैधरी ने सिल्वर मैडल (टीजी) हासिल किया। भूटान के चैकी दोरजी सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए। चीफ आॅफ आर्मी स्टाफ बैनर इंफाल कम्पनी को मिला। इस दौरान कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी, डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल मंदीप सिंह आदि भी उपस्थित रहे।

 

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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