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ऑफ़बीट

पुरुषों से नहीं बल्कि इस चीज से महिलाएं जल्दी होती हैं संतुष्ट, आप भी जानें

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हाल ही में कोई गए रिसर्च में महिलाओं के ऑर्गेज्म को लेकर खुलासा हुआ जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। अक्सर यह बात चर्चा का विषय रहती है कि पुरूष महिलाओं से ज्यादा आर्गेज्म महसूस करते हैं वहीं महिलाओं को लगता है पुरूष ज्यादा आर्गेजम महसूस करते हैं।

रिसर्च के मुताबिक, आर्गेजम पुरुषों को नहीं बल्कि महिलाओं से ज्यादा महसूस होता है। एक महीने में महिलाएं 55 बार आर्गेजम कर सकती हैं। इस बात का खुलासा ‘आर्काइव्स ऑफ़ सेक्शुअल बिहेवियर’ रिसर्च में हुआ है।

वहीं एक शोध के दौरान करीब 3 हजार महिलाओं को अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया था। जिसमें आधी महिलाओं के पार्टनर पुरूष और आधी महिलाओं के पाटर्नर महिलाएं रहीं थीं। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि महिलाएं पुरूष की बजाए महिलााओं के सा​थ 3 गुना ज्यादा ऑर्गेज्म महसूस करती है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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