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उत्तराखंड

उत्तराखंड में बाघ बढ़े, उनका क्षेत्र घटा

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उत्तराखंड में बाघ बढ़े उनका क्षेत्र घटा, जिम कार्बेट में बाघों के लिए जगह की कमी, राजाजी पार्क को नया बाघ संरक्षण जोन बनाया, धौलखंड से मोहंड तक बन सकता है नया जोन, नंदौर और हल्द्वानी में भी बाघों के संरक्षण की संभावना

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उत्तराखंड में बाघ बढ़े उनका क्षेत्र घटा, जिम कार्बेट में बाघों के लिए जगह की कमी, राजाजी पार्क को नया बाघ संरक्षण जोन बनाया, धौलखंड से मोहंड तक बन सकता है नया जोन, नंदौर और हल्द्वानी में भी बाघों के संरक्षण की संभावना

सुनील परमार

देहरादून। वन्य जीव प्रेमियों के लिए यह खुशखबरी है कि उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन जिम कार्बेट पार्क (सीटीआर) प्रशासन व वन विभाग के लिए निकट भविष्य में एक बड़ी समस्या पैदा होने वाली है कि आखिर इतने बाघों के लिए वन क्षेत्र कहां से लाएं? सीटीआर में 340 बाघ हैं और यहां अधिक से अधिक सौ बाघ ही ठहर सकते हैं। इसके बाद बाघों के लिए नया वन क्षेत्र तलाशना होगा। माना जा रहा है कि नंदौर और हल्द्वानी का कुछ क्षेत्र और धौलखंड से मोहंड तक बाघ संरक्षण क्षेत्र बनाए जा सकते हैं।

जिम कार्बेट में बाघों के लिए जगह की कमी

उत्तराखंड में वर्ष 2006 में बाघों की कुल संख्या 178 थी जो कि वर्ष 2012 में बढ़कर 227 हो गयी और पिछले साल यह संख्या 340 तक जा पहुंचे है। आलम यह है कि सीटीआर में खचाखच बाघ भरे हुए हैं। पार्क प्रशासन के अनुसार अब यहां महज 100 बाघ ही अधिक आ सकते हैं। इसके बाद बाघों में जगह पर कब्जे को लेकर संघर्ष शुरू हो जाएगा। दरअसल पिछले सात-आठ वर्षों की अवधि के दौरान उत्तराखंड में बाघों के संरक्षण को लेकर कवायद शरू की गई। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बकायदा टाइगर प्रोटेक्शन कैपेंन का ब्रांड अबेस्डर भी बनाया गया, हालांकि धोनी एक बार आने के बाद पिछले छह साल में यहां एक बार भी नहीं पहुंचे, लेकिन बाघ संरक्षण की मुहिम रंग लायी और बाघों की संख्या बढ़ने लगी।

राजाजी पार्क को नया बाघ संरक्षण जोन बनाया

सीटीआर से मिली जानकारी के अनुसार पार्क में लगभग सौ रिजर्व बनाए गए हैं। इसके बावजूद अक्सर यहां बाघों की जगह व वर्चस्व को लेकर जंग जारी रहती है। इसमें कई बार बाघों की जान भी चली जाती है। विगत दो साल में बाघों की आपसी लड़ाई में दो बाघ मारे गये थे। बाघों के लिए जगह की कमी देखते हुए राजाजी नेशनल पार्क में भी बाघ संरक्षण क्षेत्र घोषित करना पड़ा था। प्रदेश में वनों के कटाव व खाद्य श्रृंखला में आने वाले बदलाव के चलते भी वन्य जीवों व मानवों के बीच टकराव बढ़ा है, हालांकि अब तक बाघ के मुकाबले में गुलदार, भालू और जंगली सूअर से ही यह संघर्ष चल रहा है।

नंदौर और हल्द्वानी में भी बाघों के संरक्षण की संभावना

धौलखंड से मोहंड तक बन सकता है नया जोन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल नई दिल्ली में बाघों के संरक्षण पर मंत्रियों के तीन दिवसीय तीसरे एशियाई सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में बाघों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए 700 विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, प्रबंधक, दानदाता और अन्य संबंधित पक्ष हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में टाइगर रेंज के सभी देशों के मंत्री और अधिकारी हिस्सा लेंगे। जिन देशों के मंत्री और अधिकारी इसमें हिस्सा लेंगे, उनमें बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूसी संघ, थाईलैंड, वियतनाम शामिल हैं। इसके अलावा किर्गिज गणराज्य, कजाकस्तान भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं। टाइगर रेंज के कुछ देशों जैसे भारत, नेपाल, रूस और भूटान में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यहां अभी भी इसकी प्रजाति खतरे में है।

टाइगर रेंज के कुछ देशों बाघों की तादाद बेहद कम हो गई है और ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के अतिरिक्त महानिदेशक और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव बी.एस. बोनाल ने बताया कि सम्मेलन में बाघों की आबादी वाले भूभाग संरक्षण, पर्यावास प्रबंधन, बाघ पुनपर्रिचय, निगरानी व्यवस्था, शिकार रोधी रणनीति, निगरानी के लिए औजार और तकनीक जैसे, एमईई, सीएटीएस, संसाधन जुटाने और नेटवर्किंग पर चर्चा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सम्मलेन में हिस्सा ले रहे देश अपने ग्लोबलध्नेशनल रिकवरी प्रोग्राम की स्थिति और प्रगति पर रिपोर्ट पेश करेंगे। साथ ही सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देश बाघ संरक्षण पर भविष्य के घोषणापत्र जारी करेंगे।

 

 

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उत्तराखंड

केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद

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देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।

 

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