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अन्तर्राष्ट्रीय

जॉन्सन बेबी पाउडर से बीमारी के 6,610 केस दर्ज, कोर्ट ने लगाया 760 करोड़ रुपए का मुआवजा

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दुनिया भर में बच्चों के लिए सबसे बेहतर प्रोडक्ट बनाने का ढोल पीटने वाली कंपनी जॉन्सन एंड जॉन्सन अपना सातवां केस भी हार गई है। कंपनी पर अमेरिका में अब तक बेबी पाउडर से बीमारी के 6,610 मामले दर्ज हैं। ख़बरों के मुताबिक कंपनी पर न्यूजर्सी के एक 46 वर्षीय इन्वेस्टमेंट बैंकर स्टीफन लैंजो और उनकी पत्नी केंड्रा ने कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके प्रोडक्ट से उन्हें मेसोथेलियोमा हुआ है। मेसोथेलियोमा एक तरह का कैंसर होता है जो ऊतक, फेफड़ों, पेट, दिल और शरीर के अन्य अंगों पर प्रभाव डालता है।

स्टीफन लैंजो और उनकी पत्नी दोनों ने कंपनी से मुआवजे की मांग की थी। दंपत्ति का कहना था कि कंपनी के पाउडर में एसबेस्टस होने की वजह से उन्हें मेसोथेलियोमा हुआ है। लैंजो ने यह भी कहा कि कंपनी को इस बारे में पता है फिर भी उन्होंने अपने प्रोडक्ट पर कोई चेतावनी नहीं दी है।

निचली अदालत ने कंपनी पर 240 करोड़ का मुआवजा लगाया था जिसे अमेरिकी कोर्ट ने तीन गुना बढ़ाकर 760 करोड़ रुपये कर दिया। कंपनी के 120 सालों के इतिहास में बेबी पाउडर में एसबेस्टस मिला होने के कारण मेसोथेलियोमा होने का यह पहला मामला है। लैंजो ने कहा कि वह 30 सालों से कंपनी का बेबी पाउडर इस्तेमाल कर रहे हैं जिस कारण उन्हें यह बीमारी हुई। इसके बाद कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि लैंजो जिस घर में रहते हैं उसके बेस्मेंट के पाइप में एसबेस्टस लगा है। कंपनी ने यह भी कहा कि लैंजो ने जिस स्कूल से पढ़ाई की वहां भी एसबेस्टस था। लेकिन कोर्ट ने कंपनी की कोई दलील न सुनते हुए मुआवजे की रकम तीन गुना बढ़ा दी। रकम का 70 फीसदी जॉन्सन एंड जॉन्सन कंपनी देगी और बाकी का 30 फीसदी पाउडर सप्लाई करने वाली कंपनी इमेरीज टैल्क देगी। हालांकि दोनों ही कंपनियों ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।

भारत में 93,000 करोड़ का है बेबी केयर का मार्केट

भारत की बात करें तो यहां बेबी केयर का मार्केट 93,000 करोड़ का है। जिसमें जॉन्सन एंड जॉन्सन कंपनी का हिस्सा 60 फीसदी है। वहीं कंपनी पर अमेरिका में अब तक बेबी पाउडर से बीमारी के 6,610 मामले दर्ज हैं। यानि 2 सालों के अंतर्गत कंपनी को 5,950 करोड़ मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं। वहीं 2700 करोड़ के एक मामले में फैसला कंपनी के हक में आया है। बीते साल अगस्त में भी कंपनी को एक महिला को 475 करोड़ का मुआवजा देना पड़ा था। जिसमें महिला ने कंपनी प्रोडक्ट से ओवेरी कैंसर होने का दावा किया था। टैल्कम पाउडर से ओवेरी कैंसर का पहला मामला 1971 में सामने आया था।

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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