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कन्हैया का देशविरोधी नारेबाजी से सीधा संबंध नहीं : रिपोर्ट
नई दिल्ली| दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में नौ फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में हुई देश-विरोधी नारेबाजी और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार में कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। यह रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार के नेतृत्व में तैयार की गई है, जिसे उन्होंने दिल्ली सरकार को सौंप दिया है। उन्होंने आईएनएस से कहा, “मैंने पिछली रात (बुधवार) दिल्ली सरकार को रिपोर्ट सौंप दी।”
जिला मजिस्ट्रेट ने हालांकि इस बारे में कोई अन्य विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। एक अन्य अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “डीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें कार्यक्रम में कन्हैया द्वारा कही गई बातों और देश-विरोधी नारेबाजी में कोई संबंध नहीं मिला है।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश-विरोधी नारेबाजी करने के एक अन्य आरोपी जेएनयू छात्र उमर खालिद की भूमिका की विस्तृत जांच किए जाने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया, “उमर खालिद कई वीडियो में नजर आ रहा है। कश्मीर व अफजल गुरु के प्रति उसका समर्थन जाहिर है और वह कार्यक्रम का आयोजक था। उसकी भूमिका की विस्तृत जांच करने की जरूरत है।”
रिपोर्ट में संजय ने कहा है, “मेरे पास उपलब्ध कोई भी प्रत्यक्षदर्शी या वीडियो उन(कन्हैया) पर लगे आरोप साबित नहीं कर सकी।”
अधिकारी ने हालांकि कहा कि ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि जेएनयू परिसर में देश-विरोधी नारेबाजी हुई थी।’
रिपोर्ट में कहा गया, “जेएनयू परिसर में यकीनन देश-विरोधी नारेबाजी हुई थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ लोगों की पहचान की है, जो देशविरोधी नारेबाजी करते साफ-साफ दिख रहे हैं। उनके ठौर-ठिकानों का पता लगाया जाना चाहिए और उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।”
अधिकारी ने कहा कि हैदराबाद की ट्रूथ लैब के पास सात वीडियो भेजी गई थीं, जिनमें से तीन में छेड़छाड़ पाई गई। जिन वीडियो में छेड़छाड़ की बात सामने आई, उन्हें संपादित किया गया था और उनमें अलग आवाज डाली गई थी।
राज्य सरकार ने जेएनयू परिसर में हुई देश-विरोधी नारेबाजी मामले की 13 फरवरी को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। नारेबाजी नौ फरवरी को हुई थी।
इस बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कन्हैया कुमार को छह माह की अंतरिम जमानत दे दी। उन्हें दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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