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प्रादेशिक

कोरोना संकट में गरीब बच्चों का पूरा ख्याल रख रही हैं अनामिका सिंह, नहीं होने दे रहीं खाने की कमी

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कानपुर। कोरोना से जूझने में हमें डाक्‍टरों और पुलिसवालों की तस्‍वीरें दिखाई देती हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो परदे के पीछे रहकर अपना काम करते हैं। वे खुद को चौबीस घंटे डयूटी पर ऑन रखते हैं।

कानपुर में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) के पद पर तैनात ऐसी ही एक अधिकारी हैं अनामिका सिंह जो न सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रही हैं बल्कि आस पास कोई भूखा न रहे इस बात का भी वे ध्‍यान रख रही है। वह करीब तीन सालों से कानपुर के बच्‍चों को कुपोषण से मुक्‍त कराने की जंग लड रही हैं।

इन लॉकडाउन के दौरान उन्‍हें बच्‍चों और महिलाओं के न सिर्फ स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता है बल्कि वे भूखे न रहें इस बात की भी वह खासी फिक्र करती हैं। अनामिका सिंह के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वे जूडो की नेशनल लेवल की खिलाडी़ रही हैं और नेशनल लेवल पर खेले 14 से अधिक मैचों में कई मेडल भी जीते हैं। इतना ही नहीं वे कानपुर की पहली व सबसे कम उम्र की ब्‍लैक बेल्‍ट होल्‍डर भी रही हैं।

इतनी व्‍यस्‍तता के बावजूद पढाई से उनका नाता टूटा नहीं है। आपको बताते चलें कि अनामिका ने दिल्‍ली में सिविल सेवा व अन्‍य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाया भी है। आज भी सिविल सेवा के परीक्षार्थी समय समय पर उनसे ऑनलाइन मार्गदर्शन पाते हैं।

कोरोना से लड़ने में कर्मचारियों को करती हैं मोटीवेट

कानपुर में बच्‍चे कुपोषित न हों इसके लिए वो तीन साल से डटी हैं। लॉकडाउन में भी बच्‍चों व उनकी मांओं से अनामिका लगातार सम्‍पर्क में हैं। अपने स्‍टाफ के माध्‍यम से उन्‍होंने कुपोषण और कोरोना के खिलाफ जोरदार लड़ाई जारी रखी हैं।

कुपोषित बच्‍चों का वजन उनका टीकाकरण गर्भवती महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी वह नियमित रूप से ले रही हैं। वह अपने स्‍टाफ को भी इस काम में जी जान से जुटने के लिए प्रेरित करती रहती हैं।

आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को मास्‍क लगाने व बाहर निकलने पर सैनेटाजाइजर का प्रयोग करने और घर में साबुन से बार बार हाथ धुलने की सलाह देती रहती हैं। अपने घर को ही उन्‍होंने इस समय कंट्रोल रूम बना रखा है।

अपने स्‍टाफ के साथ ही बच्‍चों व उनके घरवालों के वायस मैसेज रिकार्ड कर सबको कोरोना के संक्रमण से बचने और घर में रहने की सलाह दे रही हैं। अफवाहों पर ध्‍यान न देने और सिर्फ सरकारी सूचना पर ही ध्‍यान देने को कहती हैं।

अनामिका तो यहां तक कहती हैं कि अगर किसी के पास फोन नहीं है तो वह अपनी समस्‍या स्‍थानीय सभासद को नोट करा दे। जिन बच्‍चों को टीका लगना है उसकी जानकारी भी एएनएम को दें।

अपने स्‍टाफ को मोटीवेट करते हुए कहती हैं कि याद रहे भले ही हम लोग कार्यालय नहीं आ पा रहे हैं लेकिन हमें अपनी डयूटी हर हाल में पूरी करनी है। हमें कोरोना को हराना ही नहीं सबकी सेहत की रक्षा भी करनी है।

कोई न रहे भूखा

वो हमेशा अपने स्‍टाफ के माध्‍यम से पता लगाती रहती हैं कि कहीं कोई भूखा तो नहीं। बच्‍चों और महिलाओं की भूख उन्‍हें अंदर से विचलित कर देती हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्‍हें सूचना मिली कि कानपुर में मंधना के दूर दराज क्षेत्र में दर्जनों परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। बच्‍चों व महिलाओं का बुरा हाल है।

उन्‍होंने तुरंत अपने प्रयासों से इन परिवारों के लिए खाने की व्‍यवस्‍था की और कई दिनों तक इसका फालोअप भी लिया। उनका कहना है कि सरकार पूरे प्रयास कर रही है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार भूखा न सोयें इसकी भी व्‍यवस्‍था उन्‍हें विभिन्‍न माध्‍यमों से करनी है।

अपने 17 महीने के बेटे की देखभाल के साथ ही 18 घंटे काम में जुटे रहना अपने आप में बेमिसाल है। अनामिका की लगनशीलता की स्‍थानीय विधायक सुरेन्‍द्र मैथानी और मंत्री नीलिमा कटियार भी तारीफ करती हैं।

बच्‍चों से है विशेष लगाव

लॉकडाउन के पहले अनामिका आंगनवाड़ी केन्‍द्र में जा जा कर बच्‍चों में कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाती रही हैं। बच्‍चों से एक टीचर की तरह मिलना उनसे हालचाल लेना उनके खानपान की जानकारी लेना शुरू से ही उनकी दिनचर्या में शामिल रहा है।

अब वह बच्‍चों की जानकारियां फोन के माध्‍यम से जुटाती रहती हैं। वह मानती हैं कि बच्‍चों में कुपोषण का पूरी तरह से खात्‍मा बिना मां बाप के सहयोग के हो नहीं सकता इसलिए अनामिका बच्‍चों के मां बाप के सम्‍पर्क में भी लगातार रहती हैं।

उन्‍हें स्‍वयं व बच्‍चों की सेहत के बारे में जागरुक करती हैं। वर्ष 2018 के चैत्र नवरात्र से उनका चलाया अभियान पहला कौर कन्‍या ने कानपुर ही पूरे प्रदेश या कहें देश में खूब तारीफ बटोरी थी।

अनामिका के कुपोषण के खिलाफ जंग का ही नतीजा है कि कुपोषित बच्‍चों की संख्‍या लगातार कम होती जा रही है। कानपुर में बाल विकास परियोजना अधिकारी अनामिका सिंह की लगनशीलता का हर कोई कायल है।

दूरदर्शन व एबीपी चैनल व सभी बडे अखबारों ने अनामिका के संघर्ष को सराहा है। ये अनामिका की मेहनत का ईनाम ही है कि बाल विकास पुष्‍टाहार या कहें कानपुर का कुपोषण के खिलाफ डटा आंगनबाडी माडल पूरे प्रदेश में तारीफ बटोर रहा है।

अनामिका कहती हैं कि आज सबको राम बन कर अपने परिवार की कोरोना से रक्षा करनी होगी। इसके लिए न तो आप अपने घर से बेवजह बाहर निकलें और न ही परिवार के सदस्‍यों को निकलने दें।

सरकार हर कदम पर आपके साथ है लेकिन कोरोना से लड़ाई आप को ही लड़नी है घर पर रहकर। अनामिका लोगों से इन शब्‍दों में कोरोना से लड़ने की अपील करती हैं

जिंदगी सँवारने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है, वो लम्हा संभाल लीजिये जहाँ जिंदगी खड़ी है

 

 

उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने की गोसेवा, भवानी और भोलू को खूब दुलारा

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गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान गोसेवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। इसी क्रम में शनिवार सुबह भी उन्होंने मंदिर की गोशाला में समय बिताया और गोसेवा की। मुख्यमंत्री ने गोवंश को गुड़ खिलाया और गोशाला के कार्यकर्ताओं को देखभाल के लिए जरूरी निर्देश दिए। गोसेवा के दौरान उन्होंने सितंबर माह में आंध्र प्रदेश के येलेश्वरम स्थित गोशाला से गोरखनाथ मंदिर लाए गए नादिपथि मिनिएचर नस्ल (पुंगनूर नस्ल की नवोन्नत ब्रीड) के दो गोवंश भवानी और भोलू को खूब दुलारा।

दक्षिण भारत से लाए गए गोवंश की इस जोड़ी (एक बछिया और एक बछड़ा) का नामकरण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही किया था। उन्होंने बछिया का नाम भवानी रखा है तो बछड़े का नाम भोलू। मुख्यमंत्री जब भी गोरखनाथ मंदिर प्रवास पर होते हैं, भवानी और भोलू का हाल जरूर जानते हैं। सीएम योगी के दुलार और स्नेह से भवानी और भोलू भी उनसे पूरी तरह अपनत्व भाव से जुड़ गए हैं। शनिवार को गोशाला में सभी गोवंश की सेवा करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने भवानी और भोलू के साथ अतिरिक्त वक्त बिताया। उन्हें खूब दुलार कर, उनसे बातें कर, गुड़ और चारा खिलाया। सीएम योगी के स्नेह से ये गोवंश भाव विह्वल दिख रहे थे।

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