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आध्यात्म

करवाचौथ स्पेशल: व्रत के दौरान जल्दबाजी में भूलकर भी न करें ये तीन गलतियां

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कहते है करवाचौथ का व्रत पत्नी अपने पति के प्रति प्यार, स्नेह, आत्मसमर्पण और दीर्घायु के लिए रखती है एक पत्निव्रता स्त्री इस दिन सुबह से लेकर शाम तक निर्जल इस उपवास को रखती है और रात्रि के समय चन्द्रमां के समाने अपने पति को जल पिलाकर उसकी लम्बी आयु की कामना करने के पश्चात ही अपना व्रत पति के हाथों खोलती है।

ये दिन शादीशुदा स्त्रियों के लिए अत्याधिक शुभ माना जाता है लेकिन कभी-कभी कुछ जोड़े करवाचौथ की सही विधि को समझ नहीं पाते और कई ऐसी गलतियां अनजाने में कर बैठते है जो उनके वैवाहिक जीवन में कलह होने की वजह बन जाती है।

https://aajkikhabar.com/296945/karwachauth-2020-beauty-tips-11/

तो आइये बताते है आपको की आपको कौन सी वो गलतियां है, जो भूल से भी पूजा के दौरान नहीं करनी है

  • केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, ऐसी महिलाएं ही ये व्रत रख सकती हैं.
  •  यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाएगा, निर्जल या केवल जल पर ही व्रत रखें.
  •  व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र न पहने.
  •  लाल वस्त्र सबसे अच्छा है, पीला भी पहना जा सकता है.
  • आज के दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.
  • अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसके स्थान पर उसके पति यह व्रत कर सकते हैं.

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व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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