उत्तराखंड
केदारनाथ धाम में अव्यवस्थाओं का बोलबाला
खाने, रहने से लेकर शौचालय व पानी की भी नहीं व्यवस्था
रुद्रप्रयाग। केदार धाम में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी धाम में व्यवस्थाएं दुरूस्त नहीं हो पाई हैं। नौ मई को भगवान केदारनाथ की यात्रा शुरू हो गई थी और अब तक 31 हजार से अधिक यात्री बाबा के धाम में पहुंचकर मत्था टेक चुके हैं, लेकिन यात्रियों को खाने, रहने से लेकर शौचालय व पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। यहां तक की घोड़े-खच्चरों की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।
केदारधाम के कपाट खुलने से पूर्व प्रशासन ने लाख दावे किये कि यात्रा मार्गों पर व्यवस्थाएं दुरूस्त हो चुकी हैं और यात्रियों को किसी भी अव्यवस्था से नहीं जूझना पड़ेगा, मगर एक सप्ताह से अधिक का समय गुजर चुका है और धाम से लेकर यात्रा पड़ावों पर व्यवस्थाएं दुरूस्त नहीं हो पाई हैं। ऐसे में यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। धाम में व्यवस्थाएं दुरूस्त न होने से तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों में भी आक्रोश बना हुआ है। उनकी मानें तो प्रशासन के हाथों व्यवस्थाएं सौंपे जाने से यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। धाम में व्यवस्थाएं अपडेट नहीं हैं। ऐसे में धाम में पसरी अव्यवस्थाएं प्रशासन के दावों की पोल खोलती नजर आ रही हैं।
बुजुर्ग यात्रियों को हो रही दिक्कतें
सोनप्रयाग, गुप्तकाशी, गौरीकुंड से लेकर यात्रा पड़ावों पर यात्रियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। बुजुर्ग और अक्षम लोगों को घोड़े-खच्चरों की सुविधा नहीं मिल पा रही है। रास्ता कठिन होने से यात्रियों को पैदल चलने में दिक्कतें हो रही हैं। घोड़े-खच्चर संचालक यात्रियों से सही ढंग से बात भी नहीं करते हैं। तीर्थ पुरोहित मनोज तिवारी, तीर्थ यात्री सूरज सिंह, दयाल लाल, सुनीता सिंह ने कहा कि गुप्तकाशी से केदारनाथ तक यात्रा पड़ावों पर कोई भी सुविधा तीर्थ यात्रियों को नहीं मिल रही है। शौचालय, पानी और रहने व खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि घोड़े-खच्चरों तथा डंडी-कंडी की भी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में तीर्थ यात्रियों को अपनी व्यवस्था पर आना पड़ रहा है। हैलीकॉप्टर और घोड़े की व्यवस्था न होने से तीर्थयात्री धाम में तीन से चार दिनों तक रुकने के लिए मजबूर हैं।
प्रशासन की ओर से यात्रा मार्ग पर दुकानें भी नहीं खोली गई हैं। रहने की भी पर्याप्त मात्रा में जगह नहीं हैं। हट और टैंट तो बनाये गये हैं, लेकिन वे भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। तीर्थ पुरोहित कुबेरनाथ पोस्ती एवं श्रीनिवास पोस्ती ने कहा कि यदि प्रशासन पहले से ही तैयारियों में जुट जाता तो आज यह समस्या उत्पन्न नहीं होती। यात्रा मार्गों पर यात्रियों को अव्यवस्थाओं से दो-चार होना पड़ रहा है। 2013 की आपदा से पूर्व तीर्थ पुरोहित केदारधाम में व्यवस्थाएं करते थे, मगर धाम की व्यवस्थाओं को प्रशासन द्वारा अपने हाथों में लेने से अव्यवस्थाएं बढ़ती ही जा रही हैं। उन्होंने प्रशासन और सरकार से व्यवस्थाओं में शीघ्र सुधार लाने की मांग की है।
उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।
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