उत्तराखंड
जंगल उगाकर डेंजर जोन बदलेगा हरियाली क्षेत्र में
देहरादून। केदारनाथ और सोनप्रयाग के बीच डेंजर जोन को हरियाली क्षेत्रों में बदलने का कार्य शुरू हो गया है। यहां पहाड़ों को लोहे की जाली से बांधा जा रहा है। इससे पत्थर और मलबा पहाड़ों से सरक कर न तो रास्तों को बंद कर पाएगा और न ही जानमाल का नुकसान होगा। इसके साथ ही यहां सोन नदी पर पहली बार पोर्टेबल एक्रो ब्रिज का इस्तेमाल किया जा रहा है। साढ़े आठ करोड़ कीमत का यह पुल अमेरिका से मंगाया गया है। सोन प्रयाग भूस्खलन जोन में पहाड़ों को उन्नत तकनीक के तहत तारों की जालियों से बांधने का कार्य शुरू हो गया है। जाली बिछने के बाद यहां लोहे के मोटे तारों को बांधा जाएगा। इससे मिट्टी धंसेगी भी तो आगे नहीं खिसक पाएगी। इसके बाद यहां जूट की जाली बिछाकर खाद डाली जाएगी।
इसके बाद वनीकरण किया जाएगा। पौधों के लगने के बाद मिट्टी बंध जाएगी और खिसके गी नहीं। डेंजर जोन हरियाली क्षेत्र में बदल जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार ने 18 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने इसी क्षेत्र में साढ़े सात सौ मीटर ओवर ब्रिज भी मंजूर किया है। यह पुल बनने के बाद यहां भूस्खलन होता भी है तो कोई दिक्कत नहीं होगी। सोन नदी पर कई पुल बह चुके हैं। काम चलाने के लिए यहां एक्रो ब्रिज मंगाया गया है। सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रोजेक्ट प्रभारी पीके मौर्य का कहना है कि एक्रो ब्रिज को कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसके टुकड़े अलग हो जाते हैं और बाद में असेम्बल कर लिया जाता है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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