आध्यात्म
इस दिन से पितृपक्ष हो रहा हैं शुरू, ये काम करना है जरूरी
पितृ दोष से मुक्ति पाने का पितृपक्ष सबसे सही समय होता है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक के पूरे 15 दिन पितृपक्ष् के रूप में श्राद्ध कर्म के लिए सुनिश्चित किए गए हैं। इस बार ये 24 सितंबर 2018 से शुरू हो कर 8 अक्टूबर 2018 तक चलेगा।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ‘जिस किसी के परिजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है।’
क्या करना है जरूरी –
1-श्राद्ध कर्म करने के लिए यज्ञोपवीत धारण करना जरूरी।
2-दक्षिण दिशा श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है।
3-तर्पण, तिल दान तथा स्वधा शब्द के उच्चारण के साथ किया गया श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है।
वैसे तो श्राद्ध का अधिकार पुत्र को होता है। लेकिन पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है। श्राद्ध कर्म और दान-तर्पण से पितृों को तृप्ति मिलती है। वे खुश होकर अपने वंशजों को सुखी और संपन्न जीवन का आशीर्वाद देते हैं
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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