अन्तर्राष्ट्रीय
आखिर क्या है सीरिया का बवाल, जानिये अब तक क्या हुआ
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी संयुक्त सैन्य कार्रवाई में सीरिया के कई अहम सैन्य ठिकानों पर शुक्रवार रात को हमले किए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि सीरिया सरकार ने पिछले हफ्ते डौमा शहर पर जो रासायनिक हमला किया है यह सैन्य कार्रवाई उसकी प्रतिक्रिया है। आइए संक्षेप में जानते हैं कि क्या है सीरिया की समस्या :
अरब स्प्रिंग से हुई वर्ष 2011 में शुरूआत
सीरिया में चल रहे मौजूदा गृह युद्ध की शुरूआत अरब स्प्रिंग नाम के क्रांतिकारी आंदोलन से हुई थी। यह वर्ष 2011 में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के रूप शुरू हुआ। सीरिया की जनता बेरोजगारी, व्यापक भ्रष्टाचार, राजनीतिक विकल्पहीनता और राष्ट्रपति बशर-अल-असद के दमन से नाराज थी। लेकिन सीरिया की सेना ने इस शांतिपूर्ण आंदोलन को बलपूर्वक कुचलने की कोशिश की।
सेना में बगावत
2011 के आंदोलन को कुचलने के दौरान ही सीरिया की सेना में विद्रोह हो गया। बागी सैनिकों ने फ्री सीरियन आर्मी बनाई। प्रतिक्रिया में सीरिया की सेना को असद का समर्थन करने वाले नेशनल डिफेंस फोर्स जैसे दूसरे मिलिशिया गुटों का समर्थन मिला। फ्री सीरियन आर्मी असद को सत्ता से हटाना चाहती है। इस उदारवादी गुट को तुर्की और अमेरिका का समर्थन मिला हुआ है। लेकिन असद की सेना से लगातार हार मिलने के बाद इसके कुछ समर्थक जिहादी गुटों में शामिल हो गए हैं।
शिया बनाम सुन्नी एंगल
इस लड़ाई का एक सांप्रदायिक एंगल भी है। सीरिया की जनता सुन्नी बहुल है वहीं राष्ट्रपति बशर-अल-असद शिया हैं। इसलिए गृहयुद्ध कभी-कभी शिया बनाम सुन्नी की लड़ाई लगने लगता है। जिहादी ग्रुप इसी का फायदा उठाकर लड़ाई में शामिल हो गए हैं।
पड़ोसी देश और आईएस समेत जिहादी गुट भी कूदे
सीरिया के इस संघर्ष में आईएस (इस्लामिक स्टेट) के अलावा कई आतंकवादी गुट भी शामिल हैं। ये असद और उनके बागियों के अलावा आपस में भी लड़ रहे हैं। इनमें अल कायदा से संबंध रखने वाला अल नुसरा फ्रंट अहम है। अल नुसरा ने 2017 में समान विचारधारा के दूसरे आतंकवादी गुटों से मिलकर तहरीर अल शाम नाम का एक फ्रंट बनाया है।
वहीं पड़ोसी देश भी अपने हित देखकर इस लड़ाई में शामिल हैं। सीरिया का पड़ोसी तुर्की असद विरोधी है इसलिए वह बागी सेना और अमेरिका के साथ है। सीरिया के उत्तर में रहने वाले कुर्द और तुर्की व इराक में रहने वाले कुर्द मिलकर अपने लिए एक अलग देश या स्वायत्ता चाहते हैं। अमेरिका इन कुर्दों को असद के खिलाफ मदद दे रहा है।
रूस का दखल
रूस इस लड़ाई में सीरिया को हथियार सप्लाई करता रहा है पर 2015 में रूस सक्रिय रूप इस युद्ध में शामिल हुआ। उसने बागियों के इलाकों पर हवाई हमले किए जिनमें आम नागरिक भी मारे गए। इसकी पूरी दुनिया में काफी आलोचना भी हुई। पूरे घटनाक्रम में ईरान और रूस सीरिया की मदद कर रहे हैं वहीं दूसरी इनके मुकाबले में हैं सऊदी अरब, तुर्की और अमेरिका।
अमेरिका और यूरोप की भूमिका
अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन नाटो सीरिया के राष्ट्रपति असद का विरोध और बागियों का समर्थन करते रहे हैं लेकिन उन्होंने अपने सैनिकों को सीरिया की जमीन पर नहीं उतारा है। 2014 में अमेरिका की अगुआई में नाटो देशों ने आईएस और दूसरे आतंकवादी गुटों के कब्जे वाले इलाकों पर हवाई बमबारी की। 2017 में सीरिया के शहर खान शैखोन में 50 नागरिक मारे गए, अमेरिका ने असद पर आरोप लगाया कि उसने हमले में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। सीरिया को सजा देने के लिए अमेरिका ने सीरिया के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया। पिछले हफ्ते भी सीरिया के शहर डौमा पर असद की सेना ने हमला किया जिसमें करीब 40 नागरिक मारे गए इसमें भी कथित तौर पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ है। हालांकि ट्रंप ने हाल ही में सीरिया से हटने का ऐलान किया था लेकिन इस घटना के बाद शुक्रवार रात को अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ सीरिया पर मिसाइलों से हमला कर दिया। इस हमले से रूस भड़क गया है, कुछ हफ्तों पहले रूस के एक अधिकारी ने बयान दिया था कि अगर अमेरिका ने सीरिया पर हमला किया तो तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ सकता है जिसकी परिणति एटमी संघर्ष में होगी।
अन्तर्राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात
ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।
Glad to have met Prime Minister Giorgia Meloni on the sidelines of the Rio de Janeiro G20 Summit. Our talks centred around deepening ties in defence, security, trade and technology. We also talked about how to boost cooperation in culture, education and other such areas.… pic.twitter.com/BOUbBMeEov
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2024
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