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आध्यात्म

मन आया तो कामना बनी

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kripalu ji maharaj

अकेले मन नहीं लगा। अरे रे रे ये कहाँ से आ गया मन तुम्‍हारे पास जी?-

अप्राणो ह्यमनाः शुभ्रो ह्यक्षरात् परतः परः।

(मुण्‍डको. 2-1-2)

अरे तुम तो मन रहित थे। ये मन आया और मन आया तो कामना बनी। अकेले मन नहीं लगता। अच्‍छा, तुम भी बोर होते हो हमारी तरह? हम लोग संसार में जब अकेले रहते हैं तो हम लोग भी बोर होते हैं। अकेले हैं, क्‍या करें? कहाँ जायें?वो दोस्‍त है, उसके यहाँ चलो, वो रिश्‍तेदार है, उसके यहाँ चलो, नहीं तो क्‍लब में चलो, अरे नहीं तो चलो पिक्‍ चर देख आवें। ये आश्‍ चर्य है, भगवान् के विषय में-

कर्माण्‍यनीहस्‍य भवोऽभवस्‍य ते दुर्गाश्रयोऽथारिभयात्‍पलायनम् ।

कालात्‍मनो यत्‍प्रमदायुताश्रयः स्‍वात्‍मन्‍रतेः खिद्यति धीर्विदामिह।।

(भाग. 3-4-16)

भगवान् के कोई कामना नहीं है जी, इच्‍छा ही नहीं तो कामना वामना का सवाल ही नहीं। कुछ चाहिये ही नहीं तो फिर कामना कहाँ से होगी?

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्‍यते।

पूर्णस्‍य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्‍यते।

(बृहदा. 5-1-1)

ऐंऽ फिर ये अकेले मन नहीं लगा? ये वेद क्‍यों कह रहा है बृहदारण्‍यकोपनिषद् । हाँ। संसार प्रकट किया, अपने आप हो गया ये? नहीं नहीं भगवान् ने किया-

स ईक्षत।        (ऐतरेयो. 1-1-1, 1-1-3, 1-3-1)

स ईक्षांचक्रे।      (प्रश्‍नो. 6-3)

स ऐक्षत।       (बृहदा. 1-2-5)

तदैक्षत।         (छान्‍दो. 6-2-3)

तमाम वेद मंत्र कह रहे हैं। ये ईक्षत कहाँ से आ गया जी?  र्इक्षत माने कामना की। हाँ, आश्‍चर्य है-

आत्‍मनि चैवं विचित्राश्‍ च हि।

(ब्र.सू. 2-1-28)

भगवान् में दो विरोधी आश्‍चर्यजनक शक्तियाँ होती है। वसुदेवजी ने कहा था-

त्‍वयीश्‍ वरे ब्रह्मणि नो विरुध्‍यते त्‍वदाज्ञयत्‍वादुपचर्यते गुणैः।।

(भाग. 10-3-19)

हे भगवान् ! जब भगवान् प्रकट हुये थे, जेल में, वसुदेव के सामने तो उन्‍होंने कहा था कि महाराज!  आप में दो विरोधी शक्तियाँ हैं। इच्‍छा नहीं है, कर्म है और आपके डर से तो कालात्‍मा डरता है लेकिन आप जरासन्‍ध के भय से डर कर इण्डिया छोड़कर भाग गये। समुद्र में जाकर अपना एक नगर बनाया- द्वारिका। ऐसे डरपोक।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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