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आध्यात्म

सभी ने भगवान को अपनी भावना के अनुसार देखा

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वो इन्द्रिय, मन, बुद्धि से परे है उसे कोई नहीं जान सकता। अरे कौन जानेगा? श्रीकृष्‍ण भगवान् , अभी पाँच हजार वर्ष पहले आये थे, स्‍वयं भगवान् थे।। एक कल्‍प में एक बार स्‍वयं भगवान् आते हैं और बाकी टाइम में उनके अंश आते हैं। उनकी कोई बात समझ में आई किसी के? हम लोग भी थे, देखा था। कंस के यहाँ खड़े थे कृष्‍ण बलराम धनुष तोड़ने को और हम लोग भी देखने गये, तो-

मल्लानामशनिर्नृणां नरवरः स्त्रीणां स्मरो मूर्तिमान् ।

गोपानां स्‍वजनोऽसतां क्षितिभुजां शास्ता स्‍वपित्रोः शिशुः।।

मृत्युर्भोजपतेर्विराडविदुषां तत्त्वं परं योगिनां।

वृष्णीनां परदेवतेति विदितो रङ्गं गतः साग्रजः।।

(भाग. 10-43-17)

क्या मतलब?-

जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरति देखी तिन तैसी।

सत्त्वगुणी ने देखा सत्त्वगुणी दिखे, रजोगुणी ने देखा रजोगुणी दिखे और तमोगुणी ने देखा, डरने लगा कि इसके तो एक हजार सिर हैं, दो हजार पैर हैं, छः हजार आँखें हैं। हम को खा जायेगा-

विदुषन प्रभु विराटमय दीसा। बहु मुख कर पद लोचन सीसा।।

 

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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