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आध्यात्म

साधक को अंतःकरण शुद्धि की साधना करनी होगी

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kripalu ji maharaj

हरि अनुराग विराग जग, आपुहिँ आपु न होय।

मन ते भजन किये बिना, भक्ति न पावे कोय।।14।।

भावार्थ- संसार से वैराग्‍य एवं श्रीकृष्‍ण से अनुराग ये दोनों ही स्‍वयं नहीं हो जाते। इन दोनों की प्राप्ति के हेतु मन से भजन करना होगा। तभी समस्‍या हल होगी।

व्‍याख्‍या- यह तो बा-बार बताया जा चुका है कि वैराग्‍य अथवा अनुराग सब का कर्ता केवल मन ही है। किंतु यह आशा भ्रमास्‍पद है कि कभी भगवत्‍कृपा या गुरुकृपा या प्रारब्‍धादि से अपने आप वैराग्‍य या अनुराग हो जायगा। यदि भगवान् अथवा गुरु ही कर सकते तो यह विश्‍व ही क्‍यों रहता। तभा वेदादि का उपदेश भी क्‍यों होता। यद्यपि शास्‍त्रों में कृपा द्वारा साध्‍य मिलेगा, यह भी लिखा है। किंतु उसका अभिप्राय वास्‍तविक गुरु ही समझा सकता है स्‍वयं पढ़कर कभी किसी को तत्‍त्‍वज्ञान नहीं हो सकता।

वास्‍तविकता यह है कि सर्वप्रथम साधक को अंतःकरण शुद्धि की साधना करनी होगी। इसी लक्ष्‍य से वेदादि उपदेश हैं। जब पात्र तैयार हो जायगा, तब गुरु कृपा से दिव्‍य प्रेम मिलेगा। दिव्‍य प्रेम, साधना से नहीं मिल सकता किंतु पात्र (मनःशुद्धि) बनाने की साधना तो करनी ही है। अतः गुरु शरणागति में नवधा भक्ति द्वारा श्रीकृष्‍ण से ज्‍यों-ज्‍यों अनुराग होगा, त्‍यों-त्‍यों वैराग्‍य भी होगा। अतः मुक्ति के विषय में गंभीर विचार करना है।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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