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आध्यात्म

सालोक्‍य मुक्ति भक्‍तों की होती है।

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kripalu ji maharaj

यह मुक्ति भी 5 प्रकार की बताई गई है। यथा-

सालोक्‍यसार्ष्टिसामीप्‍यसारूप्‍यैकत्‍वमप्‍युत।

(भाग. 3-29-13)

अर्थात् 1. सार्ष्टि, 2. सामीप्‍य, 3. सालोक्‍य, 4. सारूप्‍य, 5. एकत्‍व अथवा कैवल्‍य।

  1. इनमें से एक मुक्ति अद्वैतियों की है। जिसे सामुज्‍य कहते हैं। इस मुक्ति में ब्रह्म से एकत्‍व हो जाता है। अंतःकरण निवृ‍त्‍त हो जाता है।
  2. सालोक्‍य मुक्ति भक्‍तों की होती है। इसमें भक्‍त की कामना लोक बैकुण्‍ठादि की प्राप्ति की होती है। इसमें शरीरेन्द्रिय मन सब हैं।
  3. सामीप्‍य मुक्ति भी भक्‍तों की है। इसमें भक्‍त की यह कामना समान होती है कि मैं सदा अपने शरण्‍य के पास रहूँ। इसमें भी शरीरादि रहते हैं।
  4. सारूप्‍य मुक्ति भी भक्‍तों की ही है। इसमें भगवान् के रूप के ही समान रूप की कामना रहती है। इसमें भी शरीरादि होते हैं।
  5. सार्ष्टि मुक्ति भी भक्‍तों की है। इसमें भगवान् के समान ही ऐश्‍वर्य प्राप्ति की इच्‍छा रहती है। भक्‍त के शरीरादि इसमें भी हैं।

अब इन पाँचों मुक्तियों पर विचार करना है। सायुज्‍य मुक्ति तो अद्वैती ज्ञानी की है। इसे चुड़ैल इसलिये कहा है कि जिसको लग गई, सदा को लग गई। वह मुक्‍त कभी भी प्रेमानंद नहीं पाता। यह ज्ञानी सदा को दासत्‍व से वंचित हो जाता है। किसी ज्ञानी को ही पुनः शरीर देकर कृपा द्वारा प्रेमानंद दिया जाता है यथा-

वेद-

मुक्‍ता अपि ह्येनं उपासते।  (श्रुति)

मुक्‍ता अपि लीलया विग्रहं कृत्‍वा भगवन्‍तं भजन्‍ते।

(शंकराचार्य)

राधे राधे राधे राधे राधे राधे

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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