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आध्यात्म

वास्‍तविक दास वही है जो अपने सुख की कामना न करे

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kripalu ji maharaj

यह तो ठीक है कि सायुज्‍य मुक्ति में प्रेमानन्‍द नहीं मिलता। अतः निन्‍दनीय है। किंतु शेष 4 मुक्ति में तो प्रेमानन्‍द मिलता है। इसकी निन्‍दा या त्‍याग क्‍यों कहा जा रहा है? दोहा लेखक का आशय यह है कि वास्‍तविक दास वही है जो कोई भी कामना अपने सुख के लिये न करे। और तुक्ति की कामना तो अपने लिये है। निष्‍काम भक्‍त तो श्रीकृष्‍ण सुखैक तात्‍पर्यमयी भक्ति ही करता है। श्रीकृष्‍ण के सुख के लिये ही सेवा चाहता है। एवं एनके सुख में ही सुख मानता है। अतः भागवत-

सालोक्‍यसार्ष्टि सामीप्‍यसारूप्‍यैत्‍वमप्‍युत।

दीयमानं न गृह्णन्ति विना मत्‍सेवनं जनाः।।

(भाग. 3-29-13)

अर्थात् उपर्युक्‍त पाँचों मुक्तियों को श्रीकृष्‍ण के देने पर भी नहीं लेता। ब्रजांगनायें ही ऐसे निष्‍काम प्रेम की आचार्या हैं। उन्‍हीं की कृपा से ही ऐसा उच्‍चतम रस प्राप्‍त हो सकता है। आप सोच नहीं सकते कि ब्रजगोपियों की विरहावस्‍था क्‍या रही होगी। राधा विरह के वर्णन में संकेत किया गया है। यथा-

और्वस्‍तोमात्‍कटुरपि कथं दुर्बलेनोरसा मे,

तापः प्रौढ़ो हरिविरहजः सह्यते तन्‍ न जाने।

निष्‍ क्रान्‍ता चेद्भवति हृदयाद्यस्‍य धूमच्‍छटापि,

ब्रह्माण्‍डानां सखिकुलमपिज्‍वालया जाज्‍वलीति।।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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