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आध्यात्म

लोगोें के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है प्रयागराज कुंभ का यह भजन, आप भी सुनें

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प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए डुबकी लगाने दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। 6 साल बाद हो रहे इस भव्य आयोजन में नए-नए भजन भी लोगों तो खूब पसंद आ रहे हैं। ऐसा ही एक भजन आए कैलासा भक्तों को खूब पसंद आ रहा है। आपको बता दें कि यह अब तक कुंभ के ऊपर आए सभी भजनों में सबसे बड़ा प्रयास है।

इस भजन को दक्षिणेश्वर काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रम्हचारी जी व कॉस्मिक रिवाइवल के प्रणेता अंतराष्ट्रीय कॉस्मिक हीलर डॉ. अजय मगन द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। भजन को बॉलीवुड के संगीतकार दुष्यन्त सिंह ने अपने संगीत दिया है जबकि फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर सिंगर उदित नारायण और मेनका मिश्रा ने इस भजन को अपने सुरों से सजाया है। आए कैलासा भजन के बोल को डॉ. रितु सिंह ने लिखे हैं जबकि इस एल्बम का निर्देशक दुष्यन्त सिंह ने किया है।

आए कैलासा भजन एल्बन की शूटिंग हरिद्वार, प्रयागराज और मुंबई की लोकेशनों पर किया गया है। भजन के बारे में महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रम्हचारी जी ने यह आशा व्यक्त की है कि यह भजन भारत एवं विश्व के न केवल हिन्दू समुदाय बल्कि सभी लोगों को पसन्द आयेगा साथ ही यह भजन कुम्भ के प्रचार प्रसार में भी मील का पत्थर साबित होगा वहीं अंतराष्ट्रीय कॉस्मिक हीलर डॉ. अजय मगन इस भजन को लेकर बहुत उत्साहित हैं।

उन्होंने इसे महाराज जी की प्रेरणा बताया है। पद्मभूषण श्री उदित नारायण ने इस भजन को गाते वक्त इसकी रचना एवं शब्दों की तारीफ करते हुए इसे भारत की जनता को समर्पित किया। संगीतकार व निर्देशक दुष्यन्त सिंह के अनुसार यह भजन महाराज जी की प्रेरणा से बातों ही बातों में तैयार हो गया व इस भजन को उदित जी व मेनका मिश्रा ने अपनी आवाज़ से एक नया आयाम दिया।

पार्श्वगायिका मेनका मिश्रा ने कहा कि क्योंकि वे प्रयागराज में रहती हैं इसलिए इस भजन को बॉलीवुड के दिग्गजों के साथ गाना उनके लिए सम्मान और गर्व की बात है। इस भजन के माध्यम से वह प्रयागराज का प्रतिनिधित्व कर सकीं इसलिए ये पल उनके लिए अविस्मरणीय है।

दुष्यन्त सिंह के बताया कि यह भजन यू ट्यूब पर उपलब्ध है। उपरोक्त भजन में रिकॉर्डिंग व शूटिंग के दौरान अत्याधुनिक तकनीक व उपकरणों का प्रयोग किया गया है ताकि अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर यह भजन अपनी छाप छोड़े। दुष्यन्त सिंह के अनुसार इस भजन के प्रचार प्रसार के लिए निजी तौर पर पूरे प्रयास किये जाएंगे ताकि यह भजन लोगों तक आसानी से पहुंच बना सके।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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