उत्तर प्रदेश
योगी सरकार की मदद से संवर रही ओडीओपी उद्यमियों की जिंदगी
ग्रेटर नोएडा । आंखों में तरक्की के सपने थे, उद्यम को बुलंदी तक पहुंचाने का जज्बा भी था, यूपी के उद्यमियों में दिन-रात मेहनत कर अपने उत्पाद को बड़े शहरों की दहलीज तक ले जाने का जुनून भी था। लेकिन 2017 से पहले उद्यमियों का जुनून, जज्बा और मेहनत सरकारी उदासीनता के आगे पस्त थे। नतीजा, कारोबार तो चौपट हुआ ही, हौसले भी टूट गए। लेकिन कहते हैं ना भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। 2017 में बदतर कानून व्यवस्था से आजिज आ चुकी यूपी की जनता ने योगी सरकार पर भरोसा जताया। योगी आदित्यनाथ ने उस भरोसे को टूटने नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था की स्थिति तो सुदृढ़ की ही, उद्यमियों की भी सुध ली। जिसका नतीजा यह निकला कि एक समय हताश, निराश हो चुके उद्यमी आज कारोबारी सफलता की नई गाथा लिख रहे हैं। ग्रेटर नोएडा में आयोजित यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो ऐसे ही ओडीओपी उद्यमियों की सफलता की कहानियां सुना रहा है।
पुश्तैनी कारोबार छोड़ मुंबई में बेचनी पड़ी भेलपूरी
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो के ओडीओपी पवेलियन में अपना हुनर दिखा रहे सोहित कुमार प्रजापति कहते हैं कि काली मिट्टी से बर्तन (ब्लैक पॉटरी) बनाने का उनका पुश्तैनी काम है। लेकिन सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण एक समय ऐसी स्थिति भी आई कि सोहित को मजबूरन अपना पुश्तैनी काम छोड़ मुंबई जाकर भेलपूरी तक बेचना पड़ा। कोरोना काल में मुंबई से अपने पैतृक निवास लौटे सोहित को हर तरफ अंधेरा नजर आ रहा था। बकौल सोहन, योगी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद के तहत ब्लैक पॉटरी को शामिल किया तो सरकारी मदद से इस कारोबार की रौनक लौट आई। यूपी सरकार ने सोहित को स्विटजरलैंड भी भेजा। ट्रेड शो ने सोहित के कारेाबार को नई उंचाई दी है।
मृतप्राय उद्यम में योगी सरकार ने फूंकी जान
यूपी का बांदा जिला शजर पत्थरों से बने आभूषणों के लिए जाना जाता है। शजर पत्थरों के कारोबार से जुड़े द्वारिका प्रसाद शर्मा कहते हैं कि एक समय पूरे बांदा में 80 फैक्ट्रियां थी। लेकिन पूर्व की सरकारों ने इस उद्योग की तरफ ध्यान नहीं दिया। एक समय तो ऐसा भी आया कि बांदा में केवल 3 कारखाने बचे। 2017 में योगी सरकार ने इस मृतप्राय उद्यम में जान फूंकी। ओडीओपी में इसे चुना गया। सरकार ने लोन भी दिया और सब्सिडी भी। विभिन्न प्रदर्शनियों में सरकार की तरफ से स्टॉल मुहैया कराया गया। यही नहीं जी-7 अतिथियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतौर गिफ्ट जो उत्पाद दिए थे उसमें शजर भी शामिल था। योगी सरकार द्वारा मदद मिलने का नतीजा है कि आज इस कारोबार में 50 से 60 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है।
20 दिव्यांग बच्चों को यूपी सरकार ने भेजा सिंगापुर
दिव्यांग डेवलपमेंट सोसायटी मूकबधिर बच्चों की संस्था है। मनप्रीत कौर बताती हैं कि दिव्यांग बच्चे कैंडल समेत अन्य उत्पाद बनाते हैं। पहली बार ये बच्चे ट्रेड शो में भाग ले रहे हैं, लेकिन इनके हाथों बने बेहतरीन उत्पाद दर्शकों को अपनी ओर खींचने में सफल हो रहे हैं। बकौल मनप्रीत योगी सरकार ने इन बच्चों के हौसलों को नई उड़ान दी है। 2018 में रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2018 में ही संस्था के 20 दिव्यांग बच्चों को यूपी सरकार ने प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजा। भावुक मनप्रीत कहतीं हैं कि इन बच्चों ने कभी ट्रेन में भी सफर नहीं किया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इन्हें हवाई जहाज का सफर कराया।
मुश्किल वक्त में सरकार ने थामा हाथ
ओडीओपी पवेलियन में ग्लॉस हैंडीक्रॉफ्ट के स्टॉल को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं। स्टॉल संचालक प्रतीश कुमार कहते हैं कि वो 1990 से इस कारोबार से जुड़े हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि पहले लोग इसे जानते तक नहीं थे। योगी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद के तहत इस उद्यम को प्रमोट किया तो लोगों में कौतूहल बढ़ा। लोग घरों के सजावट में उत्पादों का प्रयोग करने लगे। बकौल प्रतीश योगी सरकार से उन्हें 5 लाख रुपये का लोन मिला था। लोन से उन्होंने ना केवल संयत्र खरीदने बल्कि कारोबार के विस्तार में भी मदद मिली। यूपी सरकार का ट्रेड शो आयोजन कई लिहाज से मददगार है। विदेशों से खरीदार आए हुए हैं, कईयों ने प्रोडक्ट में दिलचस्पी भी दिखाई है।
कुछ ऐसा ही कहना है बांदा जिले के कमल आहूजा का। ओडीओपी पवेलियन में मिलेट्स से बनी कुकीज का स्टॉल लगाने वाले कमल बताते हैं कि योगी सरकार लगातार उद्यम को प्रोत्साहित कर रही है। गत वर्ष केंद्र की मोदी सरकार और सूबे की योगी सरकार ने मोटे अनाज को लगातार प्रोत्साहित किया। कमल स्थानीय किसानों से ज्वार, बाजरा खरीदकर बिना चीनी की कुकीज बनाते हैं। योगी सरकार से मिले लोन से कमल ने पैकेजिंग मशीनें खरीदी। आज इनके बनाए उत्पाद दुबई, नेपाल, भूटान भी भेजे जा रहे हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले दिन इनके स्टॉल पर भी आए थे।
सरकारी मदद मिली तो शौक बना कारोबार
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में शिप्रा शर्मा का स्टॉल दर्शकों के कौतुहल का केंद्र बना हुआ है। बेकार बोतलों पर मधुबनी, लिप्पन और मंडाला आर्ट का ऐसा फ्यूजन प्रयोग किया है कि दर्शक वाह-वाह कर रहे हैं। बकौल शिप्रा इससे पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है। 7 साल पहले लिप्पन आर्ट को शौकिया अपनाने वाली शिप्रा ने यूपी सरकार से मिल रही मदद से अपने कारोबार को ना केवल आगे बढ़ाया बल्कि ट्रेड शो में भी दस्तक दीं। वह कहतीं हैं कि महिला उद्यमियों को यूपी सरकार प्रोत्साहित कर रही है। उन्हें ट्रेड शो में स्टॉल दिया गया। इससे उनके उद्यम में बढ़ोत्तरी की राहें खुलेंगी।
उत्तर प्रदेश
महाकुम्भ समेत पूरे प्रदेश में तैनात होंगे “डिजिटल वॉरियर्स”
प्रयागराज/लखनऊ। महाकुम्भ 2025 में फेक न्यूज के खिलाफ अभियान चलाने, साइबर अपराध के प्रति जागरूकता एवं पुलिस के सराहनीय कार्यों को सोशल मीडिया के विभिन प्लेटफार्म पर प्रसारित करने के लिए “डिजिटल वॉरियर्स” को तैनात किया गया है। इसके लिए युवा पीढ़ी के सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स एवं कॉलेज के छात्रों को जोड़ा गया है। इस अभिनव पहल की सफलता को देखते हुए अब पुलिस महानिदेशक ने इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए समस्त विभागाध्यक्षों और कार्यालयाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं।
मिले सार्थक परिणाम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशा पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा वर्ष 2018 में एक सार्थक पहल करते हुए व्हाट्सएप पर सक्रिय समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को डिजिटल वालंटियर्स के रूप मे जोड़ा गया था। वर्ष 2023 में यूपी पुलिस के समस्त पुलिसकर्मियों को जोड़कर “व्हाट्सएप कम्यूनिटी ग्रुप” भी बनाए गए है, जिनकी सहायता से भ्रामक खबरों का खण्डन एवं पुलिस के सराहनीय कार्यों का प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 10 लाख व्यक्ति डिजिटल वालंटियर्स के रूप में एवं लगभग 02 लाख पुलिसकर्मी कम्यूनिटी ग्रुप के माध्यम से जुड़े हुए है। इन डिजिटल वालंटियर्स के रूप में गांव, मोहल्ले और स्थानीय कस्बे के लोगों को जोड़ा गया था, जिसके सार्थक परिणाम प्राप्त हुए है। पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रशांत कुमार द्वारा इसी दिशा में नवीन पहल करते हुए फेक न्यूज के खण्डन, साइबर अपराध के प्रति जागरूकता एवं पुलिस के सराहनीय कार्यों को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किए जाने के लिए युवा पीढ़ी के सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स एवं कॉलेज/विश्वविद्यालय के छात्रों को यूपी पुलिस का “डिजिटल वॉरियर” बनाए जाने के सम्बन्ध मे प्रदेश के समस्त विभागाध्यक्ष और कार्यालयाध्यक्ष को महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए गए है ।
लोगों को करेंगे जागरूक
कॉलेज/विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रशिक्षित करने से इनमे आलोचनात्मक सोच को विकसित किया जा सकता है, जिससे वह किसी भी जानकारी का विश्लेषण और सत्यापन करके यूपी पुलिस के “डिजिटल वॉरियर” बनकर, साइबर क्राइम एवं फेक न्यूज़ को रिपोर्ट कर सकेंगे। साथ ही यह छात्र अपने सामाजिक दायरे में फेक न्यूज एवं साइबर अपराध के प्रति अपने परिवारीजनों एवं मित्रों को भी जागरूक कर सकेंगे ।
04 श्रेणियों में होगा चयन
1- फेक न्यूज के खण्डन एवं साइबर अपराध के प्रति सचेत करने हेतु
2- साइबर अपराध के प्रति जागरुकता हेतु
3- साइबर ट्रेनर के रूप मे
4- पुलिस के अभियानों/सराहनीय कार्यों का प्रचार-प्रसार
ऐसे किया जाएगा ट्रेन्ड
इन डिजिटल वॉरियर एवं स्कूल के छात्रों को फेक न्यूज़ एवं साइबर क्राइम की पहचान करने और इसके दुष्प्रभावों के प्रति प्रशिक्षित करने के लिए विश्वविद्यालयों/डिग्री कॉलेजों, स्कूलों में अथवा पुलिस लाइन्स में कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
इन कार्यशालाओं में साइबर क्राइम विशेषज्ञों/ फैक्ट चेकर्स, साइबर ट्रेनर और जनपदीय साइबर थाना/ साइबर सेल को शामिल किया जाएगा, जो तकनीकी ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव साझा करेंगे।
जनपदीय पुलिस अधिकारियों द्वारा सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालय प्रबन्धन से आग्रह करके ‘साइबर क्लब’ स्थापित करवाये जाएंगे एवं एक शिक्षक को इसका नोडल अधिकारी नामित करवाया जाएगा ।
इस कार्य में शिक्षा विभाग एवं जनपद में प्रशासन से भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
साइबर क्लब के माध्यम से कार्यशालाएं और रचनात्मक सत्र जैसे पोस्टर बनाना, स्लोगन/लघु कहानियां लिखना, सोशल मीडिया हेतु क्रिएटिव एवं वीडियो कंटेंट बनाना इत्यादि गतिविधियां कराई जाएंगी।
कमिश्नरेट, जनपद स्तर, मुख्यालय स्तर से होगी कार्यवाही
1. डिजिटल वॉरियर का चयन करना : डिजिटल वॉरियर के रूप में केवल ऐसे व्यक्ति शामिल किए जाएंगे, जिनकी छवि स्वच्छ हो और जो विवादास्पद या नकारात्मक गतिविधियों में शामिल न हों। इस कार्य मे इच्छुक उत्तर प्रदेश के बाहर के सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी सम्मिलित किया जा सकता है। ऐसे समस्त डिजिटल वॉरियर को परिपत्र के साथ संलग्न फ़ॉर्म को भरकर देना होगा, जिसका गूगल लिंक भी उपलब्ध कराया जा रहा है ।
2. स्वैच्छिक सहयोग और उपक्रम (अंडरटेकिंग) लिया जाना : डिजिटल वॉरियर को चयनित करने से पूर्व उनसे संलग्न फॉर्म के माध्यम से लिखित उपक्रम लिया जाएगा, जिसमें वे यह आश्वस्त करेंगे कि वह पुलिस का सहयोग कर फेक न्यूज़ का खंडन करेंगे, किसी भी प्रकार की फेक न्यूज़ का प्रसार नहीं करेंगे, किसी भी साइबर अपराध में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सम्मिलित नहीं होंगे, किसी विवादास्पद सामग्री को पोस्ट नहीं करेंगे और भारतीय कानून के अधीन रहकर कार्य करेंगे। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका सहयोग स्वैच्छिक होगा और उनकी सहमति के आधार पर होगा। यह सभी कार्य पूर्णतया अवैतनिक होगें।
3. डिजिटल वॉरियर के कार्यों का मासिक विवरण: डिजिटल वॉरियर द्वारा चिन्हित की गई फेक न्यूज, पुलिस के सराहनीय कार्यों व योजनाओं के प्रचार-प्रसार एवं पुलिस द्वारा किए गए खण्डन के व्यापक प्रसार का मासिक विवरण भी संकलित किया जायेगा।
4. नोडल अधिकारी की नियुक्ति: प्रत्येक जनपद में एसपी अपराध/नोडल एसपी क्राइम/डीसीपी क्राइम/ एडीसीपी क्राइम को इस कार्य एवं सोशल मीडिया अभियानों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा ।
5. डिजिटल वॉरियर द्वारा दायित्वों का पालन: कार्य में रुचि न रखने वाले, अपने दायित्वों का दुरुपयोग करने अथवा स्वयं घोषणा पत्र मे उल्लिखित शर्तों का उल्लंघन करने वाले डिजिटल वॉरियर से यूपी पुलिस किसी प्रकार का कार्य नहीं लेगी।
6. डिजिटल वॉरियर का प्रोत्साहन: डिजिटल वॉरियर द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के आधार पर प्रतिबद्धता से कार्य करने वाले डिजिटल वॉरियर के गुणवत्तापूर्ण सोशल मीडिया कंटेन्ट को जनपदीय सरकारी सोशल मीडिया पर प्रयोग करने के साथ-साथ उनको प्रशस्ति पत्र एवं मेमेंटों इत्यादि देकर प्रोत्साहित/पुरस्कृत किया जाएगा । पुलिस मुख्यालय द्वारा भी इस दिशा मे उत्कृष्ट कार्य करने वाले डिजिटल वॉरियर को समीक्षोपरांत प्रोत्साहित/पुरस्कृत किया जाएगा ।
फेक न्यूज के खिलाफ बनेंगे मजबूत दीवार
उल्लेखनीय है कि फेक न्यूज एवं साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूकता अभियान हेतु आयोजित कार्यशालाओं में स्कूल के छात्रों को भी सम्मिलित किया जाएगा परन्तु ‘डिजिटल वॉरियर’ के रूप मे सिर्फ कॉलेज/ विश्वविद्यालयों के छात्रों एवं सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का चयन किया जाएगा ।
जनपद एवं मुख्यालय स्तर पर ‘डिजिटल वॉरियर’ का एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा और पूर्ण प्रशिक्षण के उपरांत यूपी पुलिस के ‘डिजिटल वॉरियर’ फेक न्यूज़ एवं साइबर क्राइम के खिलाफ एक मजबूत दीवार के रूप में कार्य करेंगे।
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