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मुख्य समाचार

महाराष्ट्र: गृह व वित्त जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग रखकर सीनियर बने रहना चाहेगी भाजपा

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मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री और अपने वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री के रूप में स्थापित कराना राजनैतिक हलको में मोदी-शाह की जोड़ी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, जिसके दूरगामी परिणाम आएंगे।

दूसरी ओर भाजपा ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद तो सौंप दिया, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि कुछ अहम विभाग उसके पास ही रहें। देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री की शपथ तो जरूर ली, पर वो राज्य और सरकार में पार्टी के हितों की रक्षा करने में खास भूमिका निभाएंगे। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने माना कि ऐलान से पहले किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि शिंदे नए मुख्यमंत्री होंगे।

बीजेपी नेता ने कहा, “यह राज्य के नेताओं के लिए झटका था। दो दिन पहले तक हम फडणवीस के सीएम बनने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से निर्णय को बदल दिया गया। दरअसल, ठाकरे ने बागी विधायकों से अपील की और उन्हें सीएम के रूप में पदभार संभालने की पेशकश कर दी थी। यह महत्वपूर्ण मोड़ था।”

शिंदे गुट को 15 मंत्री पद मिलने की संभावना

बताया जा रहा है कि पावर-शेयरिंग फॉर्मूला और समझौते को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अंतिम रूप दिया गया, जो शुरू से ही शिंदे के विद्रोह पर नजर बनाए हुए थे। एकनाथ शिंदे गुट को 15 मंत्री पद मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा को गृह, वित्त, कृषि, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, स्कूली शिक्षा, पर्यावरण जैसे प्रमुख विभाग मिल सकते हैं।

इस तरह भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि विकास संबंधी कार्य उसके पास रहें। देखा जाए तो सरकार के शुरुआती फैसलों में आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के ठाकरे के फैसले को वापस लेना भी शामिल है, जो भाजपा की छाप का साफ संकेत है।

2014 की भाजपा-शिवसेना सरकार के दौरान जूनियर पार्टनर शिवसेना को 12 विभाग दिए गए थे, लेकिन उनमें से कोई भी महत्वपूर्ण नहीं था, जिसके कारण शिवसेना में काफी नाराजगी थी। भाजपा के एक नेता का कहना है कि इस बार एकनाथ शिंदे बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में हैं।

गृह मंत्रालय बनेगा भाजपा-शिंदे खेमे के बीच विवाद की जड़?

गृह मंत्रालय भाजपा और शिंदे खेमे के बीच विवाद की जड़ हो सकता है। फडणवीस ने अपनी सरकार के पांच साल तक विभाग को संभाला और पुलिस बल पर उनकी पूरी कमान थी। यह देखना होगा कि क्या शिंदे भाजपा को गृह विभाग देने के लिए सहमत होते हैं या नहीं। ध्यान रहे कि शिंदे गुट के 50 बागी विधायकों में से 9 एमवीए सरकार में मंत्री थे।

उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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