प्रादेशिक
अब मणिपुर के मुख्यमंत्री विधायकों की बगावत में उलझे
इंफाल| अरुणाचल प्रदेश के बाद अब मणिपुर की कांग्रेस सरकार को अपने ही विधायकों से जूझना पड़ रहा है। मणिपुर में कांग्रेस के 25 विधायक मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह के खिलाफ खड़े हो गए हैं। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 60 में से 42 सीटें जीत कर मणिपुर में रिकार्ड कायम किया था। लेकिन, अब हाल यह है कि असंतुष्ट विधायकों ने मुख्यमंत्री इबोबी सिंह को साफ लहजे में चेतावनी दी है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करें या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इबोबी सिंह को मामले पर विचार-विमर्श के लिए दिल्ली बुलाया है। पिछले कई महीनों से मणिपुर में असंतुष्ट कांग्रेसी गुट राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की मांग कर रहा है ताकि कुछ मौजूदा मंत्रियों को हटाकर गुट के सदस्यों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सके। अब यह माना जा रहा है कि असंतुष्टों ने संकेत दे दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थाऊनाओजाम चाओबा ने कहा, “हम लोगों के पास ऐसे कांग्रेसी विधायकों की लंबी सूची है जो भाजपा में शामिल होना चाहते हैं। हम इन विधायकों की सूची जल्द जारी कर सकते हैं।” इबोबी सिंह पिछले 14 वर्षो से प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर हैं। असंतुष्टों का कहना है कि प्रदेश में हवा भाजपा के पक्ष में बह रही है। राज्य में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। एक असंतुष्ट कांगेस विधायक ने कहा, “राज्य मंत्रिमंडल का जब गठन हुआ था तो इबोबी सिंह ने हम लोगों को आश्वस्त किया था कि अभी जो मंत्री बने हैं, वे सिर्फ ढाई साल तक ही मंत्री बने रहेंगे। इसके बाद नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “अब हम लोग केवल विधायक बने रहना नहीं चाहते हैं। अब हम भी हरे भरे चारागह तलाश रहे हैं।”
मणिपुर में करवट ले रही राजनैतिक स्थिति और असंतुष्टों की मांगों को सोनिया गांधी ने काफी गंभीरता से लिया है। असंतुष्टों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बात कहने के लिए अधिकांश असंतुष्ट दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। इस बीच प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की बात करना आसान है, लेकिन ऐसा सचमुच करना मुश्किल। उन्होंने कहा कि जनजातीय मंत्रियों को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जा सकता है। इनके बाद 11 मंत्री बचते हैं जिन्हें हटाना आसान नहीं होगा।
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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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