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संप्रग सरकार ने लिया था अगस्ता वेस्टलैंड का पक्ष : पर्रिकर

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संप्रग सरकार, अगस्ता वेस्टलैंड का पक्ष, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, हेलीकॉप्टर के फील्ड ट्रायल, ए.के.एंटनी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे

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संप्रग सरकार, अगस्ता वेस्टलैंड का पक्ष, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, हेलीकॉप्टर के फील्ड ट्रायल, ए.के.एंटनी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे

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नई दिल्ली| लोकसभा में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर रिश्वतखोरी मामले पर शुक्रवार को हुई चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पिछली सरकार ने न सिर्फ अगस्ता वेस्टलैंड का पक्ष लिया था, बल्कि इस मामले की जांच को भी प्रभावित करने का प्रयास किया था। पर्रिकर ने दलील देते हुए कहा, “हेलीकॉप्टर के फील्ड ट्रायल का तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने शुरुआत में विरोध किया, लेकिन बाद में उनके रुख में बदलाव करने के लिए उन्हें समझाया गया।” इस चर्चा के वक्त सदन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ सांसद मौजूद थे। रक्षा मंत्री ने कहा, “खासकर एक कंपनी को छूट दी गई। यह छूट किसी अन्य कंपनी को नहीं मिली। यह दर्शाता है कि तत्कालीन सरकार केवल उस कंपनी के साथ सौदे के पक्ष में थी।”

उन्होंने कहा कि सौदे की कीमत न्यूनतम 4,877.50 करोड़ रुपये आंकी गई, जो परियोजना की अनुमानित कीमत 793 करोड़ रुपये का छह गुना थी। पर्रिकर ने कहा, “हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए न्यूनतम कीमत काफी अधिक थी। यहां तक कि विशेषज्ञों का भी मानना था कि आमतौर पर होने वाले सौदों की कीमत की तुलना में यह काफी अधिक थी।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फरवरी 2012 में कुछ निश्चित मुद्दों को जब मीडिया में उछाला गया, तब संप्रग सरकार ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से कार्रवाई की। कांग्रेस सदस्यों के लगातार विरोध के बावजूद पर्रिकर ने कहा, “यह जांच के नाम पर आंख में धूल झोंकना था। रक्षा मंत्री सीधे तौैर पर कार्रवाई कर सकते थे और सीधे कंपनी को पत्र लिख सकते थे।”

उन्होंने कहा कि साल 2005 में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने दक्षिण अफ्रीकी कंपनी के साथ सौदा रोक दिया था, लेकिन साल 2012 में अगस्ता वेस्टलैंड मामले में ऐसा नहीं किया गया। पर्रिकर ने कहा कि एंटनी द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच का आदेश वास्तव में उनके द्वारा खुद लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि सरकार ऐसा करने पर मजबूर हुई थी, क्योंकि बातें दूसरी दिशा में जा रही थीं और साल 2012 में विदेश में इससे संबंधित गिरफ्तारी हुई थी। लोकसभा में चर्चा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत हुई, जबकि राज्यसभा में चार मई को एक संक्षिप्त चर्चा के रूप में यह मुद्दा उठाया गया था।

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केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के खिलाफ एंबुलेंस के गलत इस्तेमाल को लेकर FIR, जानें क्या है मामला

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के खिलाफ एंबुलेंस के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा है। उनके खिलाफ केरल पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जिस वाहन का प्रयोग केवल मरीजों के लिए किया जाता है, उसका इस्तेमाल करके मंत्री सुरेश गोपी ने नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं। मंत्री के खिलाफ सीपीआई नेता सुरेश केपी ने शिकायत दर्ज कराई है। हालांकि गोपी ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि एंबुलेंस का इस्तेमाल बचाव के लिए किया गया था।

एफआईआर में कहा गया कि ‘गोपी प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए अपने चुनाव प्रचार के लिए एंबुलेंस का मिसयूज किया। मरीजों के लिए बनाई गई एंबुलेंस को इस तरह के काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने प्रचार के लिए इसमें यात्रा की।’ इसपर गोपी ने अपना सफाई देते हुए कहा कि ‘उत्सव स्थल के पास उनकी कार पर हमला हुआ था, जिसके बाद वहां पर एंबुलेंस से बचाव का काम किया गया।’

मंत्री ने दावा किया कि उन्हें कुछ युवाओं ने बचाया था, जिन्होंने उन्हें उस एंबुलेंस में बैठाया था। इस दौरान वह एंबुलेंस पहले से ही उत्सव स्थल पर लोगों की मदद के लिए मौजूद थी। पुलिस ने बताया कि उनपर आईपीसी की धारा 279 और 34 और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 179, 184, 188 और 192 लगाई गई हैं।

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