उत्तराखंड
मनोहर पर्रिकर ने भूमि पूजन कर पूर्व सैनिकों को दी शौर्य स्थल की सौगात
डिजाइन का भी लोकार्पण
देहरादून। लंबे समय से चली आ रही पूर्व सैनिकों की मांग आखिरकार पूरी हो ही गई। राजधानी देहरादून में शहीद सैनिकों के सम्मान में शौर्य स्थल की नींव रख दी गई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इस काम के लिए स्वंय देहरादून पहुंचे और भूमि पूजन करने के साथ ही उत्तराखंड के पूर्व सैनिकों को ये सौगात दी। शौर्य स्थल के समारोह में रक्षा मंत्री ने पांच वीर नारियों और पांच अलंकृत सैनिकों को भी सम्मानित किया। शिलान्यास के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। दून पहुंचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि भाजपा के सभी सासंद इस दिशा में लगातार उनसे बातचीत कर रहे थे, लेकिन वे खुद चाहते थे कि जब तक पूर्व सैनिकों की ओआरओपी की मांग पूरी नहीं हो जाती है, उसके बाद जाकर ही वे इस काम को भी करेंगे।
प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं
समारोह में रक्षा मंत्री वार मेमोरियल के डिजाइन का भी लोकार्पण किया। यह समारोह देहरादून में सुबह आठ बजे शुरू हुआ। समारोह में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के डिप्टी चीफ मौजूद रहे। समारोह में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक परिवार भी पहुंचे। राज्य सभा सांसद और पूर्व सैनिक एवं सहायता परिषद के अध्यक्ष तरुण विजय ने शौर्य स्थल के नाम से पहचाने जाने वाले स्टेट वार मेमोरियल के लिए भूमि स्वीकृत कराने और डिजाइन फाइनल करने में अहम भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में वार मेमोरियल ‘शौर्य स्थल’ के शिलान्यास पर हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। शुभकामना संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड हमारे सैनिकों की वीरता और विजय गाथाओं के लिए भी अत्यधिक प्रसिद्ध है। भारतीय सैनिकों की शहादत और शौर्य के प्रेरणा स्थल, हमारे लिए वीरता के तीर्थ स्थान हैं। प्रधानमंत्री ने इस प्रेरक कार्य के लिए प्रयासरत सैनिक संगठनों को भी बधाई दी है।
दरअसल, राज्य बनने के बाद ही सियासी दलों ने पूर्व सैनिकों को राजधानी देहरादून में शहीदों की स्मृति में एक शौर्य स्थल बनाने के सपने दिखाए. दावे बहुत हुए लेकिन काम कागजों तक भी न सिमटा। इस दिशा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पूर्व सैनिकों को सपने दिखाने में कोई कोरी कसर नहीं छोड़ी थी। कभी इधर जमीन तलाशी गई तो कभी उधर। हालांकि इस दिशा में भाजपा सांसद तरुण विजय ने जरूर प्रयास किए और देहरादून के कैंट क्षेत्र स्थित चीड़बाग की जमीन को इसके लिए चुना गया। वहीं जमीन कैंट क्षेत्र में होने के चलते रक्षा मंत्रालय से इसकी अनुमति लेना जरूरी था। लिहाजा इस दिशा में कोशिश की गई और आज वो कामयाब हो गई।
दून पहुंचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भले ही उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन पर बोलने से बचे, लेकिन हेलीकॉप्टर डील को लेकर उन्होंने कांग्रेस पर निशाना जरुर साधा। इटालियन कोर्ट का हवाला देते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि इसमें करीब 125 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है और तत्कालीन सरकार को इसका जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ ब्यूरोक्रेट्स के नाम भी आ रहे हैं, इन नामों का खुलासा समय आने पर किया जाएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि इटली की अदालत ने इस बात को स्वीकारा है कि मामले में रिश्वत दी गई थी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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