Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

BREAKING : कोरोना वायरस का मिल गया इलाज, इस भारतीय महिला डॉक्टर की हो रही वाहवाही

Published

on

Loading

उत्तराखंड के पंतनगर विवि की कीट वैज्ञानिक डॉ. रुचिरा तिवारी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए एक नई तरकीब खोज निकाली है। उनकी माने तो अब गौमूत्र से कोरोना वायरस के इलाज कि संभावना हो सकती है। उन्होंने बोला कि गोमूत्र मल्टीपर्पज इफेक्ट के रूप में काम करता है।

” गौमूत्र वायरस और फंगस से निपटने में कारगर है। जब गौमूत्र के छिड़काव से मधुमक्खियों में हुए वायरस अटैक को खत्म किया जा सकता है तो गौमूत्र की विशेषताओं पर शोध करना जरूरी है। कोरोना वायरस से लड़ने में यह कितना कारगर साबित होगा, अभी यह कह पाना मुश्किल है लेकिन तय है कि गौमूत्र इंसानों के लिए फायदेमंद है।” डॉ. रुचिरा ने कहा ।

चीन में फैले कोरोना वायरस का असर सेलाकुई की फार्मा इंडस्ट्री में भी दिखने लगा है। कोरोना के कारण केंद्र सरकार ने कुछ सक्रिय औषधि सामग्री (एपीआई) और फॉर्मुलेशंस के आयात पर रोक लगा दी है। इससे औद्योगिक इकाइयों को उक्त औषधि सामग्री महंगे दाम पर अन्य देशों से आयात करनी पड़ रही है। इस कारण दवा कंपनियों को बीते माह करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

बलुवाकोट झूलापुल में डॉ. राकेश खाती, फार्मासिस्ट भुवन चंद भट्ट की टीम ने 50 और जौलजीबी में डॉ. रमेश गर्ब्याल, फार्मासिस्ट दीपक भट्ट की टीम ने 60 लोगों का परीक्षण कर कोरोना वायरस की जानकारी दी। कोरोना वायरस के चलते अब तक तीनों झूलापुलों पर दोनों देशों से आवाजाही कर रहे तीन हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण कर जानकारी दी गई है।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

Published

on

Loading

उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

Continue Reading

Trending