उत्तराखंड
आबकारी अधिकारी तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में
देहरादून। उत्तराखंड शासन के बजाए मुख्यालय से तबादला किए जाने को लेकर नैनीताल से हटाए गए एक जिला आबकारी अधिकारी ने हाईकोर्ट की शरण ली है।
अधिकारी ने याचिका दायर करते हुए अपने तबादले को नियम विरुद्ध बताया है। याचिका दायर होने की खबर से महकमे में खलबली मच गई है।
बीते माह आबकारी विभाग के आयुक्त ने सात अधिकारियों को विभिन्न पदों से स्थानांतरित किया था। नियमानुसार तबादलों के लिए प्रस्ताव शासन से होकर मुख्यमंत्री के पास जाता है।
मुख्यमंत्री के स्तर पर तबादला आदेश जारी होता है। मगर इस मामले में नियम-कानून को ताक पर रखकर सीधे मुख्यालय से प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री से आदेश करा लिया गया।
हैरानी की बात यह भी रही कि विभाग के अपर मुख्य सचिव को तबादलों के तीन दिन बाद तक इसकी कोई खबर ही नहीं मिली। इस तरह से हुए तबादलों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। मगर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
इधर, नैनीताल में तैनात जिला आबकारी अधिकारी ने अपने तबादले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इसमें भी यही आधार लिया गया है कि शासन को बाईपास करके तबादला किया गया, जो नियम विरुद्ध है।
याचिका दायर करने की खबर से आबकारी महकमे में खलबली मची हुई है। इस मामले में आबकारी आयुक्त बीके संत का कहना है कि यह रुटीन की प्रक्रिया है। तबादलों में नियम-कानून से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। हाईकोर्ट का जो भी निर्णय होगा, वह मान्य होगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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