साइंस
नासा के अंतरिक्ष यात्री वर्ष के आखिरी स्पेसवॉक के लिए तैयार
वाशिंगटन| अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एंजेसी नासा के अभियान ‘एक्सपेडिशन-46’ के कमांडर स्कॉट केली और फ्लाइट इंजिनीयर टिम कोपरा इस वर्ष आखिरी बार अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से बाहर निकलकर सोमवार या मंगलवार को अंतरिक्ष में चहलकदमी करेंगे। नासा की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दोनों अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मोबाइल ट्रांसपोर्टर रेल कार को उसकी सही जगह स्थापित करने स्टेशन से बाहर निकलेंगे ताकि बुधवार को पहुंचने वाले रूस के मालवाहक अंतरिक्ष यान को इससे ठीक तरह से जोड़ा जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहरी हिस्से की मरम्मत और रख-रखाव के लिए अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अंतरिक्ष में यह 191वीं चहलकदमी होगी, वहीं केली तीसरी बार और टिम दूसरी बार अंतरिक्ष की चहलकदमी करेंगे।
एक साल के अभियान पर अंतरिक्ष स्टेशन गए केली को वहां रहते नौ महीने हो चुके हैं और वहां एक्सट्रा वेहिकुलर एक्टीविटी में संलग्न अंतरिक्ष यात्रियों की टीम के साथ काम कर रहे हैं, वहीं टिम एक्सट्रा वेहिकुलर एक्टीविटी में संलग्न एक अन्य टीम के साथ काम कर रहे हैं।
अंतरिक्ष में चहलकदमी के दौरान केली लाल धारियों वाला स्पेससूट पहनेंगे, जबकि टिम सादे स्पेससूट में रहेंगे।
बुधवार को अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने वाला रूस का मालवाहक आपूर्ति अंतरिक्ष यान सोमवार को कजाकिस्तान के ‘बैकानुर कोस्मोड्रोम’ से प्रक्षेपित किया जाएगा। ‘बैकानुर कोस्मोड्रोम’ दुनिया का पहला और सबसे बड़ा परिचालन अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र माना जाता है।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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