साइंस
क्षुद्र ग्रह पांच मार्च को गुजरेगा पृथ्वी के करीब से
वाशिंगटन| अगले महीने की पांच तारीख को एक बेहद छोटा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बिल्कुल पास से होकर गुजरेगा, हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा। इस क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से 9,000-17,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरने की संभावना है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी (जेपीएल) के अनुसार, वैज्ञानिकों ने इस क्षुद्रग्रह का नाम 2013 ‘टीएक्स68’ रखा है और यह पृथ्वी के बिल्कुल नजदीक से नियमित तौर पर गुजरेगा, लेकिन इससे पृथ्वी के वातावरण को शायद ही कोई नुकसान हो। इस घटना की सबसे अहम बात यह है कि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के इतना नजदीक से गुजरेगा, जितना चंद्रमा भी कभी पृथ्वी के नजदीक नहीं रहा।
यह क्षुद्रग्रह आकार में बमुश्किल 100 फुट व्यास वाला है, जो अगले वर्ष सितंबर में दोबारा गुजरेगा और उसके बाद 2046 में और उसके भी बाद 2097 में फिर से पृथ्वी के पास होकर गुजरेगा। हालांकि किसी भी बार यह पृथ्वी को कोई नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं होगा। सीएनईओएस के प्रबंधक पॉल चोडास ने हाल ही में जारी एक वक्तव्य में कहा था, “अगले तीन बार इस क्षुद्रग्रह के पृथ्वी के पास से गुजरते हुए पृथ्वी से टकराने की संभावना बिल्कुल नहीं है और चिंता की कोई बात नहीं है। बल्कि भविष्य में यह पृथ्वी से थोड़ा दूर ही चला जाएगा।” गौरतलब है कि 2013 में 65 फुट व्यास का एक क्षुद्रग्रह रूस के चेल्याबिंस्क में पृथ्वी से टकराया था, जिसमें संपत्ति का काफी नुकसान हुआ था और करीब 1,500 लोग घायल हो गए थे।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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