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इनकम टैक्स में नए बदलाव समझ ले, तभी बचा सकेंगे भारी बचत

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नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है और इस साल से सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए हैं। हालांकि इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन कुछ कटौतियां किसी व्यक्ति की टैक्स लगने योग्य कमाई पर प्रभाव डालेगी। इसलिए, नए वित्त वर्ष में निवेश की सही योजना अभी से ही बना लेनी चाहिए, क्योंकि अगर सही तरीके से निवेश किया जाएगा तो कम इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा।

एस्सेल वेल्थ सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजेश परनामी से जानते हैं कि क्या हुआ है बदलाव और कहां करनी चाहिए निवेश।

इनकम टैक्स में क्या हुआ है नया बदलाव :

स्टैंडर्ड डिडक्शन को दोबारा लागू करना : वित्त मंत्रालय ने सैलरी इनकम से 40 हजार रुपये की मानक कटौती को फिर से लागू किया है। नौकरीपेशा वर्ग के अलावा पेंशनरों को भी इस कटौती का लाभ उठाने की इजाजत होगी।

ट्रांसपोर्ट भत्तों और मेडिकल बिलों के भुगतान पर टैक्स लगेगा- ट्रांसपोर्ट के भत्तों और मेडिकल बिलों पर अब तक उपलब्ध टैक्स के लाभ को वापस ले लिया गया है। इस समय 19,200 रुपये का ट्रांसपोर्ट भत्ता और मेडिकल बिलों के सालाना 15 हजार रुपये के भुगतान पर कोई टैक्स नहीं लगता। 1 अप्रैल 2018 के बाद इन्हीं भत्तों पर इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा।

सेस 4 फीसदी तक बढ़ेगा : कर दायित्व पर लगाया गया उपकर मौजूदा 3 फीसदी से एक फीसदी बढ़ा दिया गया है। अब यह 4 फीसदी हो गया है। यह सेस ‘स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर’ कहा जाएगा।

कहां निवेश करने से होगी इनकम टैक्स में बचत :

परनामी ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति की मासिक आय 30 हजार रुपये हैं और वह ईएलएसएस में 50 हजार रुपये का निवेश करता है और अपने लिए और अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा लेता है और सालाना 20 हजार रुपये का प्रीमियम अदा करता है तो उसकी पूरी सैलरी इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता।

उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की मासिक आय 50 हजार रुपये है और वह यू/एस 80 सी में 1.5 लाख रुपये का निवेश करता है, जिसमें ईएलएसएस, जीवन बीमा, एनएससी, पीपीएफ शामिल है। इसके साथ ही यू/एस 80 डी के तहत स्वास्थ्यबीमा में 50 हजार रुपये का निवेश (25,000 अपने और अपने परिवार के लिए और 25,000 अपने पर आश्रित अभिभावकों के लिए) और एनपीएस में 50 हजार रुपये का निवेश करता है तो उसे सिर्फ 6250 रुपये का इनकम टैक्स देना पड़ेगा। यह सबसे ज्यादा छूट है, जो कोई व्यक्ति निवेश के माध्यम से हासिल कर सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि सामान्य तौर पर ज्यादातर निवेशक आयकर में छूट लेने के लिए दूसरे मिश्रित विकल्पों, जैसे एचआरए, एलटीए, किराए की आय का नुकसान अगर कोई है, ट्यूशन फीस, दूसरे भुगतान और भत्तों का चयन करते है। इसमें से हर विकल्प अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होता है। इस तरह के विकल्प नियोक्ता की मुआवजे का ढांचा तय करने वाली नीति पर भी निर्भर होते हैं।

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट :

इनकम टैक्स स्लैब : टैक्स की दर

ढाई लाख रुपए तक आय : टैक्स नहीं

2,50,000 से 5,00,000 रुपए तक आय : 5 फीसदी

5,00,000 से 10,00,000 रुपए तक आय : 20 फीसदी

10,00,000 रुपए से ज्यादा इनकम : 30 फीसदी

सरचार्ज : जहां कुल आय 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक बढ़ जाती है। वहां 10 फीसदी सरचार्ज लगता है।

सरचार्ज : जहां कुल आय 1 करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ जाती है। वहां 15 फीसदी सरचार्ज लगता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर : आयकर का 4 फीसदी

इनपुट आईएएनएस

 

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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