जो बड़े समझदार ज्ञानी होते हैं, असली ज्ञानी वो ‘तृणोपमम् ‘ तृण के समान छोड़ देते हैं, मोक्ष को। अरे वेद कह रहा है- न परिलषन्ति...
जहाँ ये भावना मिट जाय कि मैं दास वो स्वामी सब खतम। ऐसी मुक्ति को मैं नहीं चाहता। भगवान् शंकर ने कहा- स्वर्गापवर्गनरकेष्वपि तुल्यार्थदर्शिनः। (भाग. 6-17-28)...
तो कामनायें दोनों-मायिक, अमायिक, कामना हैं। इसलिये भक्ति मार्ग वाले कहते हैं, दोनों को छोड़ो। भागवत का दूसरा श्लोक है- धर्मः प्रोज्झितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सराणां सताम् ।...
तो इस प्रकार, भक्ति में सबसे प्रमुख बात कि कामना इधर की भी उधर की भी दोनों गलत हैं। ये चार पुरुषार्थ कहे गये हैं जो...
नारद जी ने अपने भक्ति सूत्र में लिखा कि भक्ति का फल- भक्ति। शंकराचार्य ने भी माना- एवं कुर्वति भक्तिं कृष्णकथानुग्रहोत्पन् ना। समुदेति सूक्ष्मभक्तिर्यया हरिरन्तराविशति।। (शंकराचार्य)...
अगर मनुष्य अपनी सब कामनायें छोड़ दे, तो भगवान् बन जाये। ऐंऽऽ! नृसिंह भगवान् ने देखा, अरे ये छोरा तो हमारे बराबर हो गया ‘भगवत्त्वाय कल्पते।‘...
महाराज! जो अपने स्वामी से कुछ चाहता है तो वो भक्त नहीं है, वो व्यापारी है, बनिया है। मैं बनिया नहीं हूँ, आपका दास हूँ और...
वर माँगों बेटा! हम भगवान् हैं। सब वर माँगते हैं। जो माँगोगे देंगे। तो प्रह्लाद था तो छोटा सा, लेकिन माँ के पेट में जब था...
तो भगवान् और महापुरुष के पास एक पॉवर होती है। उसका नाम है योगमाया। उससे वे लोग कर्म करते हैं। अन्दर नहीं, बाहर हाँ और हम...
हमारे यहाँ बड़े बड़े मर्डर करने वाले उसी शहर में घूमते रहते हैं। कभी इस मकान में, कभी उस मकान में, पुलिस हार जाती है, नहीं...