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उत्तर प्रदेश

अब इंग्लैंड और अमेरिका भी चखेगा कालानमक स्वाद

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लखनऊ, । अब इंग्लैंड और अमेरिका भी चखेगा कालानमक चावल का स्वाद। करीब सात दशक बाद इंग्लैंड और पहली बार अमेरिका जाएगा कालानमक चावल। इसके पहले नेपाल, सिंगापुर, जर्मनी, दुबई आदि देशों को भी कालानमक चावल का निर्यात किया जा चुका है।

कभी इंग्लैंड रहा है कालानमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद

इंग्लैंड तो कालानमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद रह चुका है। बात करीब सात दशक पुरानी है। तब गुलाम भारत में देश भर में अंग्रेजों के बड़े बड़े फॉर्म हाउस हुआ करते थे। ये इतने बड़े होते थे कि इनके नाम से उस क्षेत्र की पहचान जुड़ जाती थी। मसलन बर्डघाट, कैंपियरगंज आदि। सिद्धार्थनगर भी इसका अपवाद नहीं था। उस समय सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के फार्म हाउसेज में कालानमक धान की बड़े पैमाने पर खेती होती थी। अंग्रेज कालानमक के स्वाद और सुगंध से वाकिफ थे। इन खूबियों के कारण इंग्लैंड में कालानमक के दाम भी अच्छे मिल जाते थे। तब जहाज के जहाज चावल इंग्लैंड को जाते थे। करीब सात दशक पहले जमींदारी उन्मूलन के बाद यह सिलसिला क्रमशः कम होता गया। और आजादी मिलने के बाद खत्म हो गया। इस साल पहली बार इंग्लैंड को 5 कुंतल चावल निर्यात किया जाएगा। इसी क्रम में पहली बार अमेरिका को भी 5 कुंतल चावल का निर्यात होगा।

योगी सरकार द्वारा ओडीओपी घोषित करने के बाद बढ़ता ही गया कालानमक का क्रेज

उल्लेखनीय है कि जबसे योगी सरकार ने कालानमक धान को सिद्धार्थ नगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया है तबसे देश और दुनियां में स्वाद, सुगंध में बेमिसाल और पौष्टिकता में परंपरागत चावलों से बेहतर कालानमक धान के चावल का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। जीआई मिलने से इसका दायरा भी बढ़ा है। योगी सरकार ने इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी घोषित करने के साथ इसकी खूबियों की जबरदस्त ब्रांडिग भी की। इसीके इसके रकबे उपज और मांग में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई।

तीन साल में तीन गुने से अधिक बढ़ा एक्सपोर्ट

राज्यसभा में 17 दिसंबर 2021 को दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019/2020 में इसका निर्यात 2 फीसद था। अगले साल यह बढ़कर 4 फीसद हो गया। 2021/2022 में यह 7 फीसद रहा। कालानमक धान को केंद्र में रखकर पिछले दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन पदमश्री डा आरसी चौधरी के अनुसार पिछले दो वर्षो के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55 टन और नेपाल को 10 टन कालानमक चावल का निर्यात किया। इन दोनों देशों से अब भी लगातार मांग आ रही है। इसके अलावा कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी इसका निर्यात हुआ है। पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं कालानमक चावल के निर्यात में लगीं हैं।
डॉक्टर चौधरी के अनुसार निर्यात का प्लेटफार्म बन चुका है। आने वाले समय में यह और बढ़ेगा।

एक नजर में कालानमक की खूबियां

दुनियां का एक मात्र प्राकृतिक चावल जिसमें वीटा कैरोटिन के रूप में विटामिन ए उपलब्ध है। अन्य चावलो की तुलना में इसमें प्रोटीन और जिंक की मात्रा अधिक होती है। जिंक दिमाग के लिए और प्रोटीन हर उम्र में शरीर के विकास के लिए जरूरी होता है। इसका ग्लाईसेमिक इंडेक्स कम (49 से 52%) होता है। इस तरह यह शुगर के रोगियों के लिए भी बाकी चावलो की अपेक्षा बेहतर है।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।

देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।

🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।

🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।

इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.

‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।

मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!

यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…

वनावरण

1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण

1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)

सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद

1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड

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