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संसद का शीत सत्र: लाया जाएगा मांसाहार परोसने पर रोक की मांग का विधेयक

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नई दिल्ली। 7 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद की शीतकालीन सत्र (parliament winter session) में सभी सरकारी कार्यक्रमों के दौरान मांसाहार (non-veg food) परोसने पर रोक की मांग का निजी विधेयक लाया जाएगा। एक निजी विधेयक प्राइवेट सेक्टर में रिश्वतखोरी पर लगाम के लिए भी लाया जाएगा। इन पर सत्र में गंभीर मंथन हो सकता है।

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इन दो निजी विधयकों के अलावा भी कुछ अन्य ऐसे ही विधेयक शीत सत्र में लाए जाने की संभावना है। सदस्यों ने लोकसभा के विचारार्थ कुल 20 निजी विधेयक पेश करने का प्रस्ताव दिया है। इन्हें लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध किया गया है।

हालांकि, अधिकांश निजी विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद खारिज कर दिया जाता है। आजादी के बाद से अब तक मात्र 14 ऐसे विधेयक ही पारित हो सके हैं। अंतिम निजी विधेयक 1970 में पारित किया गया था।

जर्मनी में लगाई गई है रोक : सांसद प्रवेश वर्मा

पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में मांसाहारी भोजन परोसने पर रोक की मांग करते हुए निजी विधेयक का प्रस्ताव किया है। इसे सूचीबद्ध किया गया है।

वर्मा का कहना है कि जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय ने सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा क्योंकि इसका जलवायु और ग्लोबल वार्मिंग पर बहुत बड़ा प्रभाव है। भारत में भी हम मांसाहारी भोजन छोड़ने की पहल कर सकते हैं।

रमा देवी लाएंगी निजी क्षेत्र में रिश्वत के खिलाफ विधेयक

इसी तरह, भाजपा सांसद रमा देवी निजी क्षेत्र में रिश्वतखोरी को रोकने के लिए एक विधेयक लाने जा रही हैं। वहीं, उत्तराखंड के पूर्व सीएम व सांसद तीरथ सिंह रावत ने देश के सभी स्कूलों में योग शुरू करने के लिए एक विधेयक लाने की योजना बनाई है।

मनरेगा कानून में संशोधन के लिए विधेयक

केरल से दो विपक्षी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन और वी.के. श्रीकंदन मनरेगा कानून की धारा 3 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगे। इस धारा में प्रावधान है कि सरकार प्रत्येक श्रमिक को एक वर्ष में अधिकतम 100 दिन रोजगार देगी। विपक्ष इसे 150 दिन करना चाहता है। हालांकि, सरकार इस मांग को पहले ही खारिज कर चुकी है।

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नेशनल

संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज

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नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।

संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।

बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”

घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।

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