मनोरंजन
‘परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण’ Movie Review : इतिहास के पन्नों में नहीं खोएगी ये कहानी
जॉन अब्राहम द्वारा प्रोड्यूस की गई फिल्म ‘परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण’ शुक्रवार को रिलीज हो गई। ‘परमाणु’ उन नायकों के बारे में है जो कभी लाइमलाइट में नहीं आते। ये हीरो हैं – इंजीनियर, वैज्ञानिक और सैनिक जो न्यूक्लियर सुपरमैसी में देश का गौरव स्थापित करने में हमारी मदद करते हैं। फिल्म ‘परमाणु’ उस सुनहरे अतीत की कहानी है, जिसने भारत के मजबूत भविष्य की नींव रखी। 1998 में भारतीय सेना ने पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। यह फिल्म उसी घटना की दिलचस्प कहानी है जो भारत का सबसे कामयाब अंडरकवर मिशन था।
क्या है कहानी
अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) भारत सरकार को न्यूक्लियर पॉवर बनने की ओर कदम उठाने को प्रेरित करते हैं ताकि हम देश की बेहतर सुरक्षा कर पाएं लेकिन उनकी अपील न सुने जाने पर वह इस्तीफा दे देते हैं। हालांकि कुछ साल बाद प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव हिमांशु शुक्ला (बोमन ईरानी) अश्वत के पास लौटते हैं और उनके न्यूक्लियर कार्यक्रम को फिर से शुरु करने के लिए कहते हैं। अश्वत इस काम के लिए एक टीम बनाते हैं जिसमें अंबालिका (डायना पेंटी) उनके साथ जुड़ती हैं और फिर शुरुआत होती है एक ऐसे मिशन की जिसे इतिहास याद करता है।
जॉन ने पहले ही कहा था कि उनकी यह फिल्म 80 प्रतिशत सच्चाई को बयान करती है और 20 प्रतिशत काल्पनिक। हालांकि परमाणु में इतनी शक्ति जरूर है कि इस हफ्ते यह आपको सिनेमा घर की तरफ खींच लेगी।
जॉन अब्राहम इससे पहले ‘विकी डॉनर’ और ‘मद्रास कैफे’ जैसी फिल्मों के जरिए खुद को सफल प्रोड्यूसर साबित कर चुके हैं। खास बात ये है कि प्रोड्यूसर होने के बाद भी जॉन ने फिल्म में खुद को हीरो साबित करने की कोशिश नहीं की और हर कलाकार को अपना रोल अदा करने का पूरा मौका दिया है।
फिल्म का पहला भाग धीमा है और किरदारों को जमाने के लिए अधिक समय ले लिया है जिसके चलते फिल्म का दूसरा भाग तेजी से भागता नजर आता है। फिल्म में पुरानी फुटेज और नेताओं के बयानों का इस्तेमाल किया गया है जो इस फिल्म को असलियत के करीब ला देता है।
उत्तर प्रदेश
डेकोरेटिव लाइट्स से महाकुंभ बनेगा भव्यता का प्रतीक
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार अनेक अभिनव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में पूरे मेला क्षेत्र को डेकोरेटिव लाइट्स से सजाया जा रहा है। 8 करोड़ की लागत से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल का जाल बिछाया जा रहा है। संगम जाने वाली हर प्रमुख सड़क पर यह अलौकिक पोल और लाइट श्रद्धालुओं का स्वागत करती नजर आएगी। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभव देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा।
प्रमुख मार्गों पर अनूठी रोशनी का जादू
अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि सीएम योगी की।मंशा के अनुरूप महाकुंभ को भव्य रूप देने के लिए विद्युत विभाग बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है। डेकोरेटिव लाइट्स और डिजाइनर पोल्स उसी का हिस्सा है। मेला क्षेत्र में लाल सड़क, काली सड़क, त्रिवेणी सड़क और परेड के सभी मुख्य मार्गों को आकर्षक डेकोरेटिव लाइट्स से रोशन किया जा रहा है। ये लाइट्स भगवान शंकर, गणेश और विष्णु को समर्पित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सौंदर्य का अनुभव कराएंगी।
8 करोड़ की भव्य परियोजना
अधिशाषी अभियंता अनूप सिंह ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइट पोल लगाए जा रहे हैं। इस बार टेंपरेरी की बजाय स्थायी पोल्स का निर्माण किया गया है, जो महाकुंभ के बाद भी क्षेत्र की रौनक बनाए रखेंगे। हर पोल को कलश और देवी-देवताओं की आकृतियों से सजाया गया है, जो मेले के वातावरण को सांस्कृतिक वैभव से भर देंगे। 15 दिसंबर तक सभी डेकोरेटिव लाइट्स का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा, जिसके बाद रात में मेला क्षेत्र की आभा देखते ही बनेगी।
विद्युत विभाग का अभिनव प्रयास
उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए यह विद्युत विभाग की ओर से एक अभूतपूर्व पहल है। आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक प्रतीकों के मेल से यह परियोजना महाकुंभ को विश्वस्तरीय भव्य आयोजन का दर्जा देगी। महाकुंभ के लिए लगाए गए ये डेकोरेटिव पोल्स स्थायी रहेंगे, जिससे क्षेत्र में आने वाले पर्यटक भी लंबे समय तक इस भव्यता का आनंद ले सकेंगे। डेकोरेटिव लाइट्स से सजे इस महाकुंभ में हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक गर्व का अनुभव होगा। यह पहल महाकुंभ को भारतीय संस्कृति की भव्यता और आधुनिक विकास का अद्वितीय प्रतीक बनाएगी।
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