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प्रादेशिक

पीएम मोदी 20 अक्टूबर को करेंगे कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ, श्रीलंका के राष्ट्रपति का विमान सबसे पहले होगा लैंड

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कुशीनगर। तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली। बौद्ध अनुयायियों के लिए महातीर्थ। दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले बौद्ध धर्म के हर अनुयायी की इच्छा अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार महापरिनिर्वाण स्थली के दर्शन-पूजन की होती है। उनकी इस इच्छापूर्ति में आवागमन की बाधा को केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में प्रदेश की योगी सरकार ने पूरी तरह दूर कर दिया है।

कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्रियाशील हो जाने से अनेकानेक देशों के बुद्ध के उपासकों को सीधे यहां पहुंचना आसान हो गया है। आजादी मिलने के बाद भी करीब सात दशक तक उपेक्षित और तंगहाली का पर्याय रहा कुशीनगर अपने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के जरिये पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास, निवेश और रोजगार का नया केंद्र बना है। यही नहीं, विश्व बंधुत्व की भावना वाले देश के अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध भी अब नई ऊंचाई को छूएंगे।

कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 अक्टूबर को करेंगे। इसी दिन पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के रूप में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के विमान की लैंडिंग व टेकऑफ होगी। उनके साथ 25 सदस्यीय प्रतिनधिमण्डल व 100 बौद्ध भिक्षु भी रहेंगे। इसके अलावा कई बौद्ध देशों के राजदूत भी एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री व विदेश से आने वाले वीवीआईपी यहां महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर भी दर्शन-पूजन करने जाएंगे। 20 अक्टूबर को कुशीनगर में इंटरनेशनल इवेंट सरीखा माहौल होगा, ऐसे में इसे अभूतपूर्व बनाने के लिए व्यवस्था व प्रबंधन की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कर रहे हैं।

कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रदेश का सबसे लंबा रनवे वाला (3.2 किमी लंबा व 45 मीटर चौड़ा) एयरपोर्ट है। इसके रनवे की क्षमता 8 फ्लाइट (4 आगमन, 4 प्रस्थान) प्रति घंटा है। एयरपोर्ट पर ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि यहां दिन ही नहीं रात में भी उड़ान संभव रहे। इसकी अंतरिम पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग 3600 वर्गमीटर में बनी हुई है और इसकी पीक ऑवर पैसेंजर क्षमता 300 की है। इस ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए 5 मार्च 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ था और 10 अक्टूबर 2019 को प्रदेश सरकार ने इस एयरपोर्ट को एयरपोर्ट अथॉरिटी को हैंडओवर किया। योगी सरकार की पहल पर 24 जून 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित किया। व्यावहारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय उड़ान की सभी बाधाएं तब दूर हो गईं जब 22 फरवरी 2021 को डीजीसीए ने इसे लाइसेंस प्रदान किया।

कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से श्रीलंका, जापान, चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, वियतनाम समेत दर्जनों दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से सीधी एयर कनेक्टिविटी होगी। इससे इन देशों के पर्यटकों, बौद्ध उपासकों को महापरिनिर्वाण स्थली का दर्शन करने में काफी आसानी होगी। अंतरराष्ट्रीय उड़ान की इस सेवा से बौद्ध सर्किट के चार प्रमुख तीर्थो लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर व अन्य तीर्थो श्रावस्ती, कौशाम्बी, संकिशा, राजगीर, वैशाली की यात्रा भी पर्यटक कम समय में कर सकेंगे।

पर्यटन क्षेत्र में 20 फीसद से अधिक की वृद्धि की उम्मीद
कुशीनगर के एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के पीछे सीएम योगी की मंशा बिलकुल साफ है। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली होने के नाते यह देश-विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र है। पर, पूर्व की सरकारों की तरफ से पर्यटन विकास की इस बड़ी संभावना पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। 2017 से सीएम योगी ने कुशीनगर में विकास की अन्य परियोजनाओं के साथ ही पर्यटन विकास को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में तेजी से काम किया है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी उसी का परिणाम है। इमिग्रेशन ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि गत पांच सालों में 18 प्रमुख बौद्ध देशों से 42.17 लाख पर्यटक कुशीनगर आए। अब जबकि इन बौद्ध देशों ने सीधी एयर कनेक्टिविटी की सुविधा हो जा रही है, पर्यटकों की संख्या 20 प्रतिशत तक बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

पूर्वी यूपी में रोजगार की भी उड़ान, स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान
अंतरराष्ट्रीय उड़ान की सेवा से कुशीनगर ही नहीं, समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोजगार की भी उड़ान होगी। सैलानियों की आमद बढ़ेगी तो होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवेल एजेंसी, गाइड जैसी सेवाओं की मांग में भी इजाफा होगा और इन क्षेत्रों में नए लोग रोजगार पा सकेंगे। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपने खास उत्पाद भी पर्यटकों की नजर में आकर अपनी वैश्विक पहचान बना सकेंगे। टेराकोटा शिल्प की मूर्तियों, कालानमक चावल व केले के फाइबर से बने उत्पादों का बाजार और विस्तारित होगा।

निवेश का बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार किया सीएम ने
कुशीनगर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर सिर्फ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ही नहीं बना है बल्कि इसके जरिये निवेश का बड़ा प्लेटफार्म तैयार किया गया है। कुशीनगर से करीब 50 किमी की दूरी पर गोरखपुर से आठ बड़े शहरों के लिए उड़ान सेवा पहले से ही है। इन दो हवाई हवाई अड्डों के अलावा पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में फोरलेन सड़को का मजबूत संजाल भी है। इन सब बुनियादी सुविधाओं के साथ प्रदेश सरकार की पारदर्शी उद्योग नीति से देश-विदेश के निवेशक इस अंचल की ओर आकर्षित होंगे।

कुशीनगर को उसका गौरव दिला रहे मुख्यमंत्री
2016 तक शायद ही ऐसा कोई साल रहा हो जब कुशीनगर में किसी न किसी मुसहर की भूख से मौत सुर्खियां न बनती हो। योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन से बीते साढ़े चार साल से एक भी मुसहर की मौत नहीं हुई है। झोपड़ी में रहने वाले मुसहर समुदाय के लोग अब पीएम-सीएम योजना से बने पक्के मकानों में रहते हैं। मिट्टी के तेल के अभाव में उनकी ढिबरी की बाती सुखी रहती थी अब बिजली और सौर ऊर्जा की जगमगाहट है। मुफ्त राशन से भरपेट भोजन का इंतजाम है तो मनरेगा के अंतर्गत रोजी का भी प्रावधान। कुशीनगर की पहचान भूख से मौत नहीं बल्कि बुद्ध के महातीर्थ से होनी चाहिए, इसी ध्येय से सीएम कुशीनगर को उसका गौरव दिला रहे हैं। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के भी यही मंतव्य है। बेहद पिछड़े जिलों में शुमार रहे कुशीनगर की बीते साढ़े चार सालों में हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं से तस्वीर ही बदल गई है। अभी सितम्बर माह में ही मुख्यमंत्री ने जिले में 421 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात दी थी।

कुशीनगर को मेडिकल कॉलेज की भी सौगात
कुशीनगर जिला 2017 के पहले तक इंसेफेलाइटिस से सर्वाधिक प्रभावित इलाका था। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद पूर्वांचल के मासूमों के लिए मौत का पर्याय रही इस बीमारी पर समन्वित प्रयासों से काबू पाया गया है। कुशीनगर जिले के लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां राजकीय मेडिकल कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है। इस मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना प्रस्तावित है।

उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने की गोसेवा, भवानी और भोलू को खूब दुलारा

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गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान गोसेवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। इसी क्रम में शनिवार सुबह भी उन्होंने मंदिर की गोशाला में समय बिताया और गोसेवा की। मुख्यमंत्री ने गोवंश को गुड़ खिलाया और गोशाला के कार्यकर्ताओं को देखभाल के लिए जरूरी निर्देश दिए। गोसेवा के दौरान उन्होंने सितंबर माह में आंध्र प्रदेश के येलेश्वरम स्थित गोशाला से गोरखनाथ मंदिर लाए गए नादिपथि मिनिएचर नस्ल (पुंगनूर नस्ल की नवोन्नत ब्रीड) के दो गोवंश भवानी और भोलू को खूब दुलारा।

दक्षिण भारत से लाए गए गोवंश की इस जोड़ी (एक बछिया और एक बछड़ा) का नामकरण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही किया था। उन्होंने बछिया का नाम भवानी रखा है तो बछड़े का नाम भोलू। मुख्यमंत्री जब भी गोरखनाथ मंदिर प्रवास पर होते हैं, भवानी और भोलू का हाल जरूर जानते हैं। सीएम योगी के दुलार और स्नेह से भवानी और भोलू भी उनसे पूरी तरह अपनत्व भाव से जुड़ गए हैं। शनिवार को गोशाला में सभी गोवंश की सेवा करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने भवानी और भोलू के साथ अतिरिक्त वक्त बिताया। उन्हें खूब दुलार कर, उनसे बातें कर, गुड़ और चारा खिलाया। सीएम योगी के स्नेह से ये गोवंश भाव विह्वल दिख रहे थे।

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