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यहां बारिश में बहते हैं हीरे-जवाहरात, बटोरने के लिए जुटते हैं दुनिया भर के लोग

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अगर हम आपको यह बताएं कि भारत में एक इलाका ऐसा है जहां बारिश के बाद कीमती हीरे और जवाहरात धरती से बाहर निकलकर चमकने लगते हैं तो शायद आप भरोसा नहीं करेंगे। लेकिन यह कोई अफवाह नहीं है हकीकत है, दक्षिण भारत में ऐसा ही एक इलाका है जहां हर साल सैकड़ों की तादाद में लोग दुनिया भर से आकर जमा होते हैं और अपनी किस्‍मत आजमाते हैं।

यह इलाका है आंध्रपद्रेश के अनंतपुर जिले का वज्रकरूर मंडल । आमतौर पर पहली बारिश होते ही किसान अगली फसल के लिए खेत तैयार करना शुरू करते हैं, लेकिन यहां खेतों में किसानों और खेतिहर मजदूरों से ज्‍यादा हीरे, जवाहरात के कद्रदान घूमते मिल जाएंगे।

ये खोजी हर साल जुलाई से सितंबर के बीच औसतन 30 से 40 हीरे खोज निकालते हैं। हाल ही में एक शख्‍स ने दो कीमते पत्‍थर खोज निकाले थे, जिन्‍हें बेचकर उसे लगभग 10 लाख रुपयों की आमदनी भी हुई थी। यहां आध्रप्रेदश के अलावा तेलंगाना और कर्नाटक के लोग अधिक आते हैं। इन खोजियों के साथ हीरे-जवाहरात के मुंबई और सूरत के व्‍यापारी भी इस इलाके में डेरा जमा लेते हैं। ये लोग टीम बनाकर काम करते हैं, इनकी खोज रात में भी जारी रहती है।

दरअसल यह धरती प्राकृतिक रूप से इन कीमती पत्‍थरों के मामले में धनी है। बताते हैं कि एक समय में लोग सड़क के किनारे इन जवाहरातों की ढेरी लगाकर बैठते थे और कद्रदानों को बेचते थे। माना जाता है कि पहली बारिश के बाद धरती की ऊपरी सतह पानी में धुल जाती है और नीचे से ये कीमती पत्‍थर निकलने लगते हैं।

धरती से निकलने वाले इस खजाने को लेकर सरकारी विभाग भी अब सक्रिय हो गए हैं और पुलिस व राजस्‍व विभाग वगैरह इस तरह निकलने वाले रत्‍नों को अपने कब्‍जे में लेने लगे हैं। कुडूर्पी का एक आदिवासी इसी तरह के एक मामले में मुआवजे के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहा है। तो अगर इस मॉनसून आपके पास कुछ खास काम न हो तो आप भी अपनी किस्‍मत आजमा लीजिए, क्‍या पता कोई हीरा आपका भी इंतजार कर रहा हो।

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दिवाली में क्यों पकड़े जा रहे है उल्लू, घर की आर्थिक स्थिति सुधरने से है कनेक्शन

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नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में उल्लू को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. इसलिए धार्मिक मान्यता है कि य​दि आपको दिवाली के दिन उल्लू दिखाई देता है तो यह अत्यंत शुभ है. य​ह आपके घर में शुभता के आगमन के संकेत देता है. ऐसा भी कहा जाता है कि, दिवाली पर उल्लू का दिखाई देना आपके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने का संकेत होता है. यह दर्शाता है कि दिवाली पर आपके घर मां लक्ष्मी का आगमन होने वाला है और साथ ही घर में सकारात्मकता आने वाली है.

संरक्षित श्रेणी में आने वाले उल्लू की जान दिवाली के दौरान सांसत में रहती है। तंत्र पूजा के कारण दिवाली के दौरान उल्लू के शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका है। इसे रोकने के लिए वन विभाग को पहरेदारी बढ़ा देनी चाहिए ।

उल्लू की खासियत

उल्लू को एक छोटा और शांत पक्षी माना जाता है. दुनिया में पाए जाने वाले उल्लुओं की प्रजातियों में सबसे छोटा उल्लू लगभग 5 से 6 इंच का होता है. इसके साथ ही सबसे बड़े उल्लू की लंबाई लगभग 32 इंच होती है. आम तौर पर उल्लू के पंजे बहुत जहरीले और शक्तिशाली होते हैं. यह एक मांसाहारी प्राणी है जो अपने पंजों का इस्तेमाल करके शिकार करता है. इसकी आंखें बहुत बड़ी होती हैं. उल्लू एक ऐसा प्राणी है जो अपना सिर 270 डिग्री तक घुमा सकता है. खास बात है कि उल्लू 23-30 साल जीवित रहता है.

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