Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

ऑफ़बीट

सलमा की शर्त सुन सकते में मुस्लिम समाज, जानिए किस शर्त की वजह से नहीं हो पा रहा निकाह

Published

on

Loading

सोशल मीडिया में सलमा की एक शर्त काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। पंजाब के लुधियाना में सलमा नाम की एक मुस्लिम महिला सलमा  इस वक्त सुर्खियों में छाई हुई है। सलमा की शादी को लेकर हर कोई उत्सुक है। लुधियाना जिले के पायल कस्बे में रहने वाली सलमा ने अपनी शादी के लिए एक अजीबोगरीब शर्त रखी हुई है जिसकी वजह से 33 साल की सलमा की शादी अभी तक हो ना सकी है। आइए जानते हैं कौन है यह सलमा और क्या है इसकी अनोखी शर्त –

साभार – internet

सलमा मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद गायों से बेहद प्यार करती हैं और गायों ने उनके इसी प्रेम के चलते उन्होंने गौशाला शुरू की। इतना ही नहीं गौशाला में उनकी गायों के अलग-अलग नाम भी है। नाम इतने निराले की सुनकर आपका दिल खुश हो जाएगा।

साभार – internet

सबसे पहले वो एक बैल लेकर आई। उसने बैल का नाम नंदी रख दिया। कुछ दिनों बाद उसे एक और ऐसी गाय मिली, जिसे किसी ने लावारिस छोड़ दिया गया था। सलमा उस गाय को अपने घर ले आई और उसे गौरी नाम दिया। इसी तरह से उसके गौशाला में गायों की संख्या लगातार बढ़ने लगी और अब उसके पास करीब 33 गाएं हैं।

साभार – internet

सलमा न केवल गौशाला चलाती हैं बल्कि उन्होंने अपनी गायों को अलग-अलग नाम भी दे रखा है। गायों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के ऊपर है। सलमा की गौशाला में जगदंबा, पार्वती, दुर्गा, मीरा, सरस्वती, राधा, लक्ष्मी और तुलसी नाम वाली गायों के साथ-साथ एजाजा, आशू, जान, गुलबदन, कुमकुम, हनी नाम की गाएं भी हैं।

साभार – internet

लोग सलमा के गौशाला को मुस्लिम गौशाला के नाम से जानते हैं। गायों से उसे बेहद लगाव है। दरअसल, सलमा की शर्त है कि वह सिर्फ उस व्यक्ति से निकाह करेंगी, जो इस गौशाला को चलाने के लिए तैयार होगा। इसी शर्त की वजह से शादी के 6 रिश्ते टूट गए हैं। लोग सलमा से अक्सर सवाल करते हैं कि वो मुस्लिम होकर गौशाला कैसे चला सकती हैं।

साभार – internet

सलमा का जवाब बस यहीं होता है कि जानवरों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें जानवरों से प्यार है और इसी लिए वो गायों को अपने पास रखती है। सलमा कहती हैं कि मैं गायों को पूजनीय नहीं मानती, लेकिन मैं उनसे प्रेम जरूर करती हूं।

ऑफ़बीट

बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

Published

on

Loading

चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

Continue Reading

Trending