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उत्तराखंड

पिथौरागढ़ के उच्च इलाकों में भारी बारिश

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पिथौरागढ़ के उच्च इलाके, उत्‍तराखण्‍ड में भारी बारिश, बारिश के बाद भूस्खलन, धारचूला स्थित दारमा घाटी

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पिथौरागढ़ के उच्च इलाके, उत्‍तराखण्‍ड में भारी बारिश, बारिश के बाद भूस्खलन, धारचूला स्थित दारमा घाटी

raining in uttarakhand

देहरादून। एक ओर जहां देहरादून समेत पर्वतीय व मैदानी जिलों में भीषण गर्मी पड़ रही है तो वहीं पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी इलाकों में बुधवार को जबरदस्त बारिश होने के समाचार मिले हैं। धारचूला स्थित दारमा घाटी में भारी बारिश के बाद भूस्खलन होने से दर्जनों ग्रामीण फंस गये हैं जबकि सामान ढोने वाली 15 झुप्पी गाय भी बारिश से उफनी धौली नदी में बह गई हैं। यहां बना एक अस्थायी पुल पर भी नदी का पानी चढ़ गया है।  उल्लेखनीय है कि यह इलाका सीमांत क्षेत्र में स्थित है और यहां संचार सेवा भी नगण्य है।

मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार रात से ही दारमा घाटी में जबरदस्त बारिश हो रही है। उस दौरान गांवों के लोग धौली नदी के दूसरे ओर जंगल व खेतों में गये थे। इस बीच धौली नदी उफान पर आ गयी। इस नदी पर एक अस्थायी पुल बनाया गया है, पानी पूरे वेग से पुल के ऊपर बह रहा है। इस पुल पर माइग्रेशन के तहत 15 झुप्पी गाय सामान लेकर जा रही थी तो वे भी बह गईं। धौली नदी की दूसरी ओर से लगातार पत्थर गिर रहे हैं। इस कारण वहां मौजूद ग्रामीण फंस गये हैं। इस आशय की सूचना प्रशासन का दे दी गई है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। गौरतलब है कि दारमा घाटी में वर्ष 2013 को आई आपदा से सबसे अधिक नुकसान हुआ था। यहां एक सड़क का निर्माण कार्य भी चल रहा है। इससे भी लगातार पत्थर गिर रहे हैं। धौली नदी के उफान में आने के बाद काली नदी का जलस्तर बढ़ गया है।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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