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सिर्फ इस आदमी की वजह से अब महिलाएं जिंदा नहीं जलाई जातीं

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भारत में 18वीं शताब्दी में कई कुरीतियां फैली हुई थी, धर्म के नाम पर एक ऐसा काम होता था कि आप सुनेंगे तो आपकी रूह कांप जाएगी। उस वक्त पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पति के शव के साथ जिंदा जलाने का प्रचलन था। जिसे सती प्रथा के नाम से पुकारा जाता था।

हिंदू धर्म में इस कुरीति के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत उस वक्त किसी के पास नहीं थी। लोग चाहते हुए सती प्रथा का विरोध नहीं कर पाते थे। ऐसे वक्त एक आदमी जिसने इस प्रथा का विरोध किया और इसके लिए सरकार से कानून बनवाकर इस देश से इस कुरीति को खत्म करने की एक शुरुआत की, उसका नाम था राजा राम मोहन राय। वर्ष 1829 में सती प्रथा को सरकार की तरफ से कानून बनाकर इसे बंद करने की घोषणा की गई।

आप सभी मशहूर समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को उनकी 246वीं जयंती पर याद कर सकते हैं। साभार इंटरनेट

आज उसी समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्मदिन (22 मई, 1772) है। गूगल ने भी डूडल बनाकर समाज सुधारक राम मोहन राय को आज याद किया। राजा राम मोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण के पिता’ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने आधुनिक भारत के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

राजा राम मोहन राय का जन्म पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर गांव में हुआ था। वह हालांकि एक हिन्दू ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे, लेकिन बचपन से ही उन्होंने कट्टर हिन्दू रीति रिवाजों और रूढ़ियों की खिलाफत शुरू कर दी थी। मूर्तिपूजा के विरोधी राजा राम मोहन राय एकेश्वरवाद के समर्थक थे।

पिता से धर्म और आस्था को लेकर कई मुद्दों पर मतभेद के कारण उन्होंने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया था। इस बीच उन्होंने हिमालय और तिब्बत के क्षेत्रों का व्यापक दौरा किया और चीजों को तर्क के आधार पर समझने की कोशिश की।

उन्होंने संस्कृत के साथ फारसी और अरबी पढ़ी, जिसने भगवान के बारे में उनकी सोच को प्रभावित किया। उन्होंने उपनिषदों, वेदों और कुरान का अध्ययन किया और कई ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया।

घर लौटने पर उनके माता-पिता ने यह सोचकर उनकी शादी कर दी कि उनमें ‘कुछ सुधार’ आएगा, पर वह हिन्दुत्व की गहराइयों को समझने में लगे रहे, ताकि इसकी बुराइयों को सामने लाया जा सके और लोगों को इस बारे में बताया जा सके।

मशहूर समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को उनकी 246वीं जयंती पर याद कर सकते हैं

उन्होंने उपनिषदों और वेदों को पढ़ा और ‘तुहफत अल-मुवाहिदीन’ लिखा। यह उनकी पहली पुस्तक थी और इसमें उन्होंने धर्म में भी तार्किकता पर जोर दिया था और रूढ़ियों का विरोध किया।

समाज सुधारक के तौर पर उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए अभियान चलाया, जिसमें पुनर्विवाह का अधिकार और संपत्ति रखने का अधिकार शामिल है।

करीब 200 साल पहले जब सती प्रथा जैसी बुराइयां समाज में मौजूद थीं, राजा राम मोहन रॉय ने सति प्रथा समाप्त करने के लिए भी अभियान चलाया और समाज में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।  26 सितंबर, 1833 को मेनिंजाइटिस के कारण इंग्लैंड में ब्रिस्टल के पास एक गांव में रॉय का निधन हो गया।

आप सभी मशहूर समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को उनकी 246वीं जयंती पर याद कर सकते हैं और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते है। (इनपुट आईएएनएस)

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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