आध्यात्म
गुजरात राज्य स्कूल पाठ्यपुस्तक बोर्ड का नया ज्ञान: ‘सीता का अपहरण रावण ने नहीं, राम ने किया था’
गांधीनगर। आजकल हम देखते हैं कि इन्टरनेट फेक ख़बरों से भरा पड़ा है। ऐसे में प्रमाणिक जानकारी के लिए हम किताबों पर ही भरोसा करते हैं। लेकिन क्या हो अगर किताबें भी गलत ज्ञान परोसने लगें? वो भी, वो किताबें जो स्कूल के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हों। ऐसा ही कुछ देखने को मिला गुजरात राज्य स्कूल पाठ्यपुस्तक बोर्ड की एक किताब में।
कक्षा 12 की संस्कृत विषय के अंग्रेजी संस्करण में यह बड़ी गलती सामने आई है। आलोचनाओं के बाद गुजरात राज्य स्कूल पाठ्यपुस्तक बोर्ड (जीएसएसटीबी) ने इसे अनुवाद की गलती बताते हुए जांच का आदेश दे दिए हैं। इस किताब में लिखे एक पैराग्राफ के मुताबिक, कवि ने अपनी मौलिक सोच के आधार पर राम के चरित्र का बेहद खूबसूरती से बखान किया है। लक्ष्मण के उस संदेश को दिल छू लेने वाले अंदाज में पेश किया गया है, जिसमें वह राम को राम द्वारा सीता के अपहरण के बारे में बताते हैं। यह पाठ संस्कृत के महान कवि कालीदास की रचना ‘रघुवंशनम’ पर आधारित है। यह गलती सिर्फ अंग्रेजी माध्यम की किताबों में है। गुजराती किताबों में ऐसी कोई गलती नहीं है।
जीएसएसटीबी गांधीनगर के कार्यकारी अध्यक्ष नीतिन पेथाणी ने दावा किया कि “‘त्याग’ शब्द का गलत अनुवाद किया गया है। यह गलती अनुवादक और प्रूफ-रीडर की है। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। दोषी पाए जाने पर अनुवाद और प्रूफ-रीडिंग की जिम्मेदारी लेने वाले ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। हम स्कूल शिक्षकों को इस गलती की जानकारी दे देंगे ताकि वे पढ़ाने के दौरान उसे सही कर लें।”
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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