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आध्यात्म

रामायण एक्सप्रेस ने बदली अपने सेवा कर्मचारियों की वर्दी,भगवा पोशाक को हटाया

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उज्जैन के साधुओं द्वारा वेटरों के भगवा पोशाक पर आपत्ति जताने के बाद रेलवे ने सोमवार को रामायण एक्सप्रेस में अपने सेवारत कर्मचारियों की वर्दी बदल दी। साधुओं ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया था और ड्रेस कोड नहीं हटाए जाने पर 12 दिसंबर को दिल्ली में ट्रेन रोकने की धमकी दी थी।

साधुओं ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया

रामायण सर्किट ट्रेन, जो 7 नवंबर को सफदरजंग रेलवे स्टेशन से 17 दिन की यात्रा पर निकली थी, ने अपने वेटर्स को साधु जैसी टोपी के साथ भगवा पोशाक और रुद्राक्ष की माला पहने देखा।

रेलवे ने बदल दी पोशाक

संतों ने इसे ‘हिंदू धर्म का अपमान’ बताया था। भारतीय रेलवेज ने कहा,’यह सूचित किया जाता है कि सेवा कर्मचारियों की पेशेवर पोशाक के रूप में सेवा कर्मचारियों की पोशाक पूरी तरह से बदल दी गई है। असुविधा के लिए खेद है।’

आध्यात्म

आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।

इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

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