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अगर ‘संजू’ हिट हो गई तो रणबीर माथे से पसीना पोंछकर कहेंगे, “बच गए”, लेकिन क्यों?

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर का मानना है कि उनकी असफलता की कहानियां, सफलता से ज्यादा सीख देतीं हैं। रविवार को सोशल मीडिया पर प्रशंसकों से सवाल-जवाब के दौरान जब एक प्रशंसक ने रणबीर से पूछा कि, “वे असफलताओं और झुंझलाहट से कैसे निपटते हैं?”, रणबीर ने कहा, “मैंने सिर्फ अपनी असफलताओं से सीखा है, ना कि अपनी सफलताओं से।”

सफलता का जश्न मनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “अपने माथे से पसीना पोंछकर खुद से यह बोल देता हूं, ‘बच गए।’” रणबीर अपने करियर में कई हिट और फ्लॉप फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। ‘सांवरिया’ जैसी फिल्म से शुरुआत करने वाले रणबीर ने ‘वेक अप सिड’, ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ और ‘रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द इयर’ जैसी फिल्में करने के बाद ‘रॉकस्टार’, ‘बर्फी’ और ‘ये जवानी है दीवानी’ जैसी अलग तरह की फिल्मों में काम किया। उनकी ‘बॉम्बे वेलवेट’, ‘तमाशा’ और ‘जग्गा जासूस’ जैसी कुछ फिल्में असफल रहीं।

जब एक प्रशंसक ने उनसे पूछा कि, “वे खुद को 10 वर्ष बाद कहां देखते हैं?”, उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि मैं कई सालों तक आप सभी का मनोरंजन कर सकता हूं।” उनकी आगामी फिल्म ‘संजू’, अभिनेता संजय दत्त की बायोपिक (जीवनी) है। उन्होंने कहा कि बायोपिक में काम करने पर एक ही समय पर भयावह और रोमांचकारी अनुभव साथ-साथ होता है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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