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RBI ने दी राहत, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं; EMI रहेगी स्थिर
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज नई मौद्रिक नीति की घोषणा कर दी है। 6 से 8 जून तक चली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने फिलहाल रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। इसका मतलब यह है कि रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बना रहेगा।
RBI गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति के सामने दो मुद्दे काफी महत्वपूर्ण थे। पहला देश में मंहगाई को काबू में करना और दूसरा, विपरीत वैश्विक परिस्थियों से निपटना। हाई रिटेल इनफ्लेशन और विकसित देशों के केंद्रीय बैंक खास तौर पर यूएस का फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई की मौद्रिक समिति की ये बैठक काफी महत्वपूर्ण थी।
रेपो दर में बदलाव नहीं
आरबीआई गवर्नर ने आज मौद्रिक नीति समिति के फैसलों की घोषणा में रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और अन्य संबंधित निर्णय के बारे में भी बताया। इसके अलावा गवर्नर ने इस वक्त की घरेलू और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर भी चर्चा की। हालांकि आज के इस घोषणा से पहले बहुत से अर्थशास्त्रियों का मानना था कि रेपो रेट में इस बार भी कोई बदलाव नहीं होगा।
RBI गवर्नर के संबोधन की बड़ी बातें
मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।
वित्त वर्ष 24 के लिए 6.5 प्रतिशत का ग्रोथ प्रोजेक्शन बरकरार रखा है। जिसमें वित्त वर्ष 24 के Q1 में 8 प्रतिशत की वृद्धि, Q2 में 6.5 प्रतिशत, Q3 में 6 प्रतिशत और Q4 में 5.7 प्रतिशत की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 24 के लिए रिटेल मुद्रास्फीति को पहले के अनुमानित 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया।
एमपीसी मुद्रास्फीति की उम्मीदों को मजबूती से स्थिर रखने के लिए तुरंत और उचित रूप से नीतिगत कार्रवाई करना जारी रखेगी।
हेडलाइन मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर है और शेष वर्ष के दौरान इसके बने रहने की उम्मीद है।
भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।
मौद्रिक नीति की फैसले से मनचाहा परिणाम मिल रहा है।
अभूतपूर्व वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत और लचीले है।
उभरती हुई मुद्रास्फीति पर कड़ी और निरंतर निगरानी रखना जरूरी है।
अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करते हुए आरबीआई अपने तरलता प्रबंधन में चुस्त रहेगा।
देश का चालू खाता घाटा चौथी तिमाही में और कम होने की उम्मीद है फिलहाल यह प्रमुख रूप से प्रबंधनीय बना हुआ है।
भू-राजनीतिक स्थिति के कारण वैश्विक आर्थिक गतिविधियों की गति धीमी होगी।
अनिवासी जमा में नेट इनफ्लो वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
भारतीय रुपया इस साल जनवरी से स्थिर बना हुआ है।
पूंजीगत व्यय में तेजी लाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां है।
आरबीआई ने बैंकों को रुपे (Rupay) प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड जारी करने की अनुमति दी है।
आरबीआई ने गैर-बैंक कंपनियों को ई-रुपया वाउचर को ईश्यू करने की मंजूरी दी है जिससे ई-रुपया के दायरे का विस्तार हो सके।
आरबीआई मूल्य और वित्तीय स्थिरता के उभरते जोखिमों से निपटने के लिए सतर्क और सक्रिय रहेगा।
रेपो रेट में बदलाव ना करने के क्या मायने?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा लिए गए फैसले में एक बार फिर देश की इकोनॉमी में जारी रिकवरी को बरकरार रखने और रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है।
बता दें कि इसी साल फरवरी में हुई एमपीसी की बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की वृद्धि की थी। इससे पहले आरबीआई ने दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी। मई 2022 से फरवरी 2023 तक आरबीआई ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट यानी 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की है।
18+
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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