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लाल किले से कैदियों को लाने वाली सुरंग का पता चला

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सात किमी लंबी सुरंग, लाल किले से दिल्ली विधानसभा तक कैदियों को लाने वाली सुरंग, अंग्रेजों के जमाने की सुरंग

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सात किमी लंबी सुरंग, लाल किले से दिल्ली विधानसभा तक कैदियों को लाने वाली सुरंग, अंग्रेजों के जमाने की सुरंग

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के नीचे एक ऐसी गुप्त सुरंग का पता चला है जो कैदियों को लाल किले से यहां तक सुनवाई के लिए लाने में इस्तेमाल की जाती थी। 5 मार्च को ढूंढ निकाली गई इस सुरंग की लंबाई 7 किलोमीटर है, जो दिल्ली विस से लाल किले तक जाती है। विधानसभा भवन में जहां सत्र चलता है यह सुरंग उसी के नीचे है। बताया जा रहा है कि यह सुरंग अंग्रेजों के जमाने की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लाल किले से कैदियों को इसी सुरंग के रास्ते दिल्ली विधानसभा लाया जाता था। जहां उनकी सुनवाई होती थी। इतिहास में इस बात का उल्लेख है कि वर्तमान में दिल्ली विधानसभा के रूप में इस्तेमाल की जा रही इमारत को स्वाधीनता संग्राम के अंतिम दिनों में अंग्रेजों ने अदालत का रूप दे दिया था। यह 1926-27 से 1947 तक का दौर था। उस समय दिल्ली विधानसभा की प्रमुख इमारत के पीछे की तरफ फांसी घर बना हुआ था, जहां पर क्रांतिकारियों को फांसी दी जाती थी।

सात किमी लंबी सुरंग से लाए जाते थे कैदी

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बताया कि 1993 में पहली बार विधायक बनने पर उन्हें विधानसभा कर्मचारियों से इस सुरंग के बारे में जानकारी मिली थी। गोयल ने बताया, ‘अभी कुछ दिन पहले ही वो हरियाणा के किसी कार्यक्रम में दिल्ली की पूर्व विधायक विधायक किरन चौधरी ने उन्हें इस सुरंग के बारे में बताया था। इसके बाद वापस आने पर उन्होंने इस की खोज के लिए जांच बिठाई जिसने इस सुरंग की खोज की।

मालूम हो कि जिन स्वतंत्रता से‌नानियों को लाल किले में बंदी बनाकर रखा जाता था उन्हें इसी गोपनीय सुरंग से दिल्ली विधानसभा (उस समय के ब्रिटिश अदालत) लाया जाता था। विधानसभा के मुख्य इमारत के पीछे एक फांसी लगाने वाला कमरा हुआ करता था जहां स्वतंत्रता से‌नानियों को फांसी पर चढ़ा दिया जाता था। इस जगह पर एएसआई टीम भी दौरा करेगी। एक कमरा भी खुलवाया गया है, जो 20 साल से बंद पड़ा था। बताया जाता है कि वह किसी जमाने में कैदखाना था। इस सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई इतनी है कि कई लोग एक साथ आराम से खड़े होकर इसमें चल सकते हैं। सुरंग के अंतिम छोर पर एक दरवाजा मिला है। दरवाजे से पहले एक ऐसा स्थल भी है जहां कई लोग एक साथ एकत्र हो सकते है। सुरंग पक्की ईंटों की बनी है लेकिन इसमें लकड़ी की पट्टियों का भी इस्तेमाल किया गया है। इसके ऊपर प्लास्टर किया गया है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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